पीएम मोदी ने महाकुंभ के समापन पर साझा की तस्वीरें, इसे 'एकता का महायज्ञ' और 'युग परिवर्तन की आहट' करार दिया

पीएम मोदी ने महाकुंभ के समापन पर साझा की तस्वीरें, इसे 'एकता का महायज्ञ' और 'युग परिवर्तन की आहट' करार दिया
अंतिम अपडेट: 3 घंटा पहले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के समापन पर अपनी संतुष्टि और खुशी व्यक्त की है। उन्होंने इस आयोजन को 'एकता का महायज्ञ' और 'युग परिवर्तन की आहट' बताया, जिसमें 140 करोड़ भारतीयों की एकजुट आस्था ने एक अभूतपूर्व दृश्य प्रस्तुत किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिए महाकुंभ के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए लिखा, "महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह देशवासियों की एकजुटता और आस्था का जीवित उदाहरण था। पूरे देश की आस्था इस एक पर्व में समाहित हो गई, जो हर किसी के दिल को छूने वाला था।"

उन्होंने आगे कहा कि इस आयोजन में देशभर से विभिन्न वर्गों के लोग, चाहे वह महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांगजन, या युवा हों, एकत्र हुए थे। पीएम मोदी ने इसे भारत की सामूहिक चेतना और आस्था का प्रतीक बताया और कहा कि महाकुंभ को देख कर यह साफ हो गया कि भारतीय समाज अपनी संस्कृति और संस्कारों के प्रति पूरी तरह समर्पित है।

महाकुंभ का आयोजन एक अद्वितीय उदाहरण

प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के आयोजन की प्रशंसा करते हुए इसे 'एकता का महाकुंभ' और 'भक्ति और सद्भाव का अद्वितीय संगम' बताया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में लाखों लोग त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए पहुंचे, और यह दृश्य भारत की एकता और भाईचारे का प्रतीक बन गया। 

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि महाकुंभ ने केवल धार्मिक महत्व नहीं बल्कि एक मजबूत प्रबंधन प्रणाली का भी उदाहरण प्रस्तुत किया। "महाकुंभ का आयोजन विश्व में अपनी तरह का अनोखा उदाहरण है, जिसमें तीव्र प्रबंधन और आयोजन क्षमता का अद्वितीय प्रदर्शन किया गया," उन्होंने कहा।

सभी वर्गों ने लिया हिस्सा

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ में शामिल विभिन्न वर्गों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने विशेष रूप से युवा पीढ़ी की भागीदारी की सराहना की और इसे भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत माना।

उन्होंने कहा, "महाकुंभ के दौरान, प्रत्येक वर्ग ने अपनी-अपनी क्षमता से इस आयोजन का हिस्सा लिया। यह देखना अत्यंत सुखद था कि हमारी युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति और आस्था को न केवल समझती है, बल्कि इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी समझती है।"

अलौकिक भीड़ ने दुनिया को किया हैरान

महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे, और प्रधानमंत्री ने इसे दुनिया को चौंका देने वाला दृश्य बताया। उन्होंने कहा, "महाकुंभ के आयोजन में अमेरिका की आबादी से दोगुने लोग एकजुट हुए, जो इस आयोजन की अपार सफलता को दर्शाता है।"

प्रधानमंत्री ने इस आयोजन को 'एकता का महायज्ञ' करार देते हुए इसे भारतीय समाज की एकता और सामूहिक चेतना का अद्भुत उदाहरण बताया।

विकसित भारत की दिशा में महाकुंभ का योगदान

प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन को 'युग परिवर्तन की आहट' बताया, जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं की शक्ति का एक नया स्वरूप सामने आया। उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ ने यह साबित कर दिया है कि भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए, समग्र विकास की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।

देशवासियों की प्रेरणा और समर्पण की सराहना

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के समापन पर देशवासियों की श्रद्धा और समर्पण की तारीफ की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने उनके भीतर राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के प्रति आस्था को और भी मजबूत किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही श्री सोमनाथ के दर्शन के लिए जाएंगे और वहां भारतीयों की सामूहिक आस्था और संकल्प के प्रतीक के रूप में पुष्प अर्पित करेंगे।

प्रधानमंत्री ने किया संतों और जनता का आभार

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के आयोजन में योगदान देने वाले सभी शासक, प्रशासक और सेवा देने वाले कर्मियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने खास तौर पर यूपी सरकार, योगी आदित्यनाथ और उनके नेतृत्व में इस आयोजन को सफल बनाने में मदद करने वाली जनता का धन्यवाद किया।

नदी स्वच्छता की आवश्यकता पर जोर

पीएम मोदी ने इस दौरान नदियों के महत्व पर भी बात की। उन्होंने कहा कि गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

इस महाकुंभ ने भारत की एकता, आस्था और सांस्कृतिक विरासत को एक नया दृष्टिकोण दिया और यह आयोजन भारतीय समाज की सामूहिक चेतना का प्रतीक बन गया।

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