Punjab Politics News: पंचायत चुनाव से पहले भाजपा को लगा तगड़ा झटका, पंजाब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या है वजह?

Punjab Politics News: पंचायत चुनाव से पहले भाजपा को लगा तगड़ा झटका, पंजाब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या है वजह?
Last Updated: 4 घंटा पहले

पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने 15 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनावों से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के पीछे पार्टी के भीतर के मुद्दे और असंतोष का कारण बताया जा रहा है। जाखड़ ने पिछले कुछ समय से पार्टी से दूरी बनाई हुई थी, खासकर जब से रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था।

चंडीगढ़: पंजाब पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है, जब सुनील जाखड़ ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। लंबे समय से पार्टी से दूरी बनाए रखने के कारण उनका यह कदम हैरान करने वाला नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, जाखड़ पार्टी के आंतरिक मुद्दों और हालिया बदलावों से नाराज चल रहे थे, जिसके चलते वे गुरुवार को पंचायत चुनावों की तैयारियों पर आयोजित बैठक में भी शामिल नहीं हुए। जब एक भाजपा नेता ने उन्हें फोन कर बैठक में शामिल होने के लिए कहा, तो उन्होंने मना कर दिया और भविष्य में भी किसी बैठक में शामिल न होने की इच्छा जताई।

इस इस्तीफे से बीजेपी की चुनावी रणनीति पर प्रभाव पड़ने की आशंका है, क्योंकि जाखड़ एक महत्वपूर्ण नेता थे। पंजाब में पंचायत चुनावों की तैयारियाँ तेज हो गई हैं और पार्टी अब नए नेतृत्व के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। जाखड़ के इस्तीफे से पार्टी के अंदर चल रही असंतोष की स्थिति भी स्पष्ट होती है, जिससे आगामी चुनावों में बीजेपी को चुनौती मिल सकती हैं।

क्या थी इस्तीफे की वजह?

सूत्रों के अनुसार, सुनील जाखड़ की पार्टी से नाराजगी के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि रवनीत सिंह बिट्टू को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने का फैसला उन्हें पसंद नहीं आया। जाखड़ को लगता था कि वे पार्टी में अधिक सीनियर हैं और उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस पद पर नहीं चुना जाना उचित नहीं था।

इससे उनकी उपेक्षा का अनुभव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दिया। उनकी यह असहमति और पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर निराशा ने उनके इस्तीफे को और भी मजबूती दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस स्थिति का कैसे सामना करती है और आगामी पंचायत चुनावों में अपने नेता के रूप में किसे आगे लाती हैं।

 

 

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