शाही जामा मस्जिद को 1920 में केंद्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में मान्यता मिली थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नियमित रूप से मस्जिद स्थल का सर्वेक्षण किया है, जिसमें विभिन्न बदलावों का पता चला है।
Sambhal Violence: संभल की शाही जामा मस्जिद में चल रहे विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में अदालत में हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित इस मस्जिद के संरचनात्मक बदलावों का आरोप लगाया है। एएसआई के मुताबिक, मस्जिद की संरचना में बार-बार बदलाव किए गए हैं, जिससे उसके ऐतिहासिक महत्व पर असर पड़ा है। इसके साथ ही एएसआई ने मस्जिद कमेटी पर सर्वेक्षण कार्य में बाधा डालने का भी आरोप लगाया है।
1920 में संरक्षित स्मारक घोषित
हलफनामे में एएसआई ने कहा कि शाही जामा मस्जिद को 1920 में केंद्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया था और तब से ही एएसआई ने समय-समय पर यहां सर्वेक्षण किया है। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि मस्जिद के ढांचे में कई बार बदलाव किए गए हैं। इनमें से एक बड़ा विवाद 2018 में हुआ था, जब मस्जिद कमेटी ने संरचनात्मक बदलाव किए और स्टील की रेलिंग लगाई। एएसआई ने इस पर प्राथमिकी दर्ज की थी।
सर्वेक्षण में बाधा डालने के आरोप
एएसआई ने अदालत में यह भी दावा किया है कि मस्जिद कमेटी ने उनके सर्वेक्षण कार्य में कई बार बाधाएं डाली। अदालत में पेश की गई तस्वीरों में मस्जिद में किए गए बदलावों का प्रमाण भी देखा गया है। एएसआई का कहना है कि इन बदलावों से मस्जिद की ऐतिहासिकता और संरचनात्मक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
कानूनी विवाद और सुरक्षा इंतजाम
यह विवाद शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के दावे से जुड़ा हुआ है। शुक्रवार को अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें मस्जिद कमेटी के वकील ने दावे की प्रति मांगी। इस बीच, मस्जिद और उसके आसपास के क्षेत्र में तनाव के चलते पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रशासन ने पूरी स्थिति पर नजर रखी हुई है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी 2025 की तारीख तय की है।