Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को किया खारिज, पीठ ने कहा- 'जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं होती है'

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को किया खारिज, पीठ ने कहा- 'जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं होती है'
Last Updated: 26 नवंबर 2024

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ छेड़छाड़ के आरोपों को लेकर एक जनहित याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस याचिका को अस्वीकार करते हुए कहा कि चुनावों में हारने वाले अक्सर ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, जबकि जीतने पर यही सवाल नहीं उठाए जाते।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज कर दी है, जिसमें चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की जगह बैलट पेपर से मतदान कराने की मांग की गई थी। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. केए पॉल ने दायर की थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से सवाल किया, "आपको यह याचिका दायर करने का विचार कैसे आया?"

सुनवाई के दौरान, अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है जो यह साबित करे कि ईवीएम से चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि बिना पर्याप्त साक्ष्य के ऐसे आरोप लगाना चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करता हैं।

पीठ ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा 

जस्टिस विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, "जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम सही होती है। लेकिन जब आप हारते हैं, तो ईवीएम खराब हो जाती है।" अदालत ने इस तर्क को आधारहीन मानते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया और स्पष्ट किया कि ईवीएम प्रणाली चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

याचिका में की गई थीं बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. केए पॉल की जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बैलेट पेपर से मतदान कराने और चुनाव सुधारों की मांग की गई थी। याचिका में यह भी सुझाव दिया गया था कि अगर कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान प्रलोभन जैसे पैसे या शराब का इस्तेमाल करता है, तो उसे पांच साल के लिए अयोग्य ठहराया जाए।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्हें इस याचिका का विचार कहां से आया। पॉल ने जवाब दिया कि वह एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं, जिसने लाखों अनाथों और विधवाओं की मदद की है और 150 से अधिक देशों की यात्रा की है। इस पर अदालत ने पूछा कि क्या इन देशों में बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल होता है। अदालत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता का कार्यक्षेत्र राजनीति से अलग है और बिना पर्याप्त साक्ष्य के ऐसी याचिकाएं चुनावी प्रक्रिया में अविश्वास पैदा करती हैं। 

बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया जवाब 

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि ईवीएम से छेड़छाड़ की संभावना को देखते हुए बैलेट पेपर का उपयोग किया जाए। इसके अलावा, चुनाव प्रचार में पैसे और शराब के इस्तेमाल को रोकने और व्यापक मतदाता जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही गई थी।

अदालत ने स्पष्ट किया कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका में ठोस आधार नहीं है। अदालत ने चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी जैसे नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि चुनाव हारने वाले अक्सर ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए चुनाव प्रक्रिया में सुधार की जरूरत हो सकती है, लेकिन बैलेट पेपर अपनाने से यह समस्या हल नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ. केए पॉल के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है। अदालत ने पूछा कि क्या बैलेट पेपर से वोटिंग भ्रष्टाचार मुक्त होगी। साथ ही, मतदाता जागरूकता बढ़ाने और शिक्षित लोगों के बीच मतदान के महत्व को समझाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर भी चर्चा की।

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