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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, क्या लगेगी रोक? जानें पूरी जानकारी

वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, क्या लगेगी रोक? जानें पूरी जानकारी
अंतिम अपडेट: 5 घंटा पहले

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमति जता दी है।

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में बड़ा संवैधानिक संघर्ष छिड़ गया है। इस अधिनियम की वैधता को चुनौती देती हुई अब तक छह याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। यह कानून हाल ही में संसद द्वारा पारित हुआ था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद प्रभावी भी हो चुका है।

'उम्मीद' अधिनियम बना नया केंद्रबिंदु

वक्फ अधिनियम, 1995 को संशोधित कर अब इसे "यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम, 1995" नाम दिया गया है। सरकार का दावा है कि यह कानून गरीब मुस्लिमों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लाया गया है, जबकि विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता खतरे में पड़ गई है।

कौन-कौन पहुंचा कोर्ट?

अब तक जिन प्रमुख नेताओं और संस्थाओं ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, उनमें शामिल हैं:
१. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद (पहली याचिका, 4 अप्रैल)
२. जमीयत उलेमा-ए-हिंद (सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल की दलील)
३. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
४. AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
५. NGO एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
६. समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा (धार्मिक संगठन)

कांग्रेस का आरोप: संविधान के मूल ढांचे पर हमला

कांग्रेस का कहना है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 300A का उल्लंघन करता है। कांग्रेस के अनुसार, यह कानून न केवल धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करता है, बल्कि अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक और संपत्ति अधिकारों पर भी कुठाराघात करता है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दावा किया कि यह संशोधन मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को सरकारी नियंत्रण में लाने की एक योजना है। संस्था ने कहा कि यदि इसे रोका नहीं गया, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा।

सरकार का पक्ष: यह गरीबों को देगा अधिकार

वहीं, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरें रिजिजू ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन ही इस कानून का मकसद है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार किसी समुदाय की धार्मिक पहचान या संपत्ति में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। सीजेआई संजय खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को प्राथमिकता से सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कपिल सिब्बल से पूछा कि मौखिक उल्लेख के बजाय मेंशनिंग लेटर क्यों नहीं दायर किया गया, जिस पर सिब्बल ने कहा कि प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है।

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