Donald Trump: क्या BRICS देशों की नई करेंसी से डॉलर का दबदबा घटेगा? ट्रंप की चेतावनी पर नई बहस

Donald Trump: क्या BRICS देशों की नई करेंसी से डॉलर का दबदबा घटेगा? ट्रंप की चेतावनी पर नई बहस
अंतिम अपडेट: 2 घंटा पहले

डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने डॉलर की जगह वैकल्पिक करेंसी बनाई तो उनपर 100% टैक्स लगेगा और वे अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाएंगे।

Donald Trump Warns BRICS 100 percent Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन समेत तमाम ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अमेरिकी डॉलर की जगह किसी वैकल्पिक करेंसी का उपयोग करना शुरू किया, तो उन देशों पर 100 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा और वे अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाएंगे। ट्रंप की यह चेतावनी ब्रिक्स देशों की तरफ से डॉलर के विकल्प पर विचार किए जाने के बाद सामने आई है।

ट्रंप का बयान: डॉलर को कमजोर करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर की जगह कोई वैकल्पिक करेंसी बनाने की कोशिश की तो उन्‍हें 100 फीसदी तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा करने वाले अमेरिकी बाजार से भी बाहर हो जाएंगे। फिर वे किसी दूसरे बेवकूफ देश को ढूंढ सकते हैं। अब मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा कि कोई देश डॉलर को कमजोर करने की कोशिश करे।"

अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच चल रहा तनाव

इससे पहले, दिसंबर 2024 में ट्रंप ने डॉलर के विकल्प को लेकर ब्रिक्स देशों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। ट्रंप का यह बयान तब आया था जब ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने की बात की थी।

भारत का रुख: डॉलर को बदलने का समर्थन नहीं

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मामले पर स्पष्ट किया है कि भारत अमेरिकी डॉलर को बदलने का समर्थन नहीं करता और न ही इसके पक्ष में है। भारत केवल अपने व्यापारिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए वैकल्पिक उपायों की तलाश कर रहा है।

ब्रिक्स देशों का उद्देश्य: डॉलर पर निर्भरता कम करना

BRICS देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और अब इस समूह में शामिल इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई सहित अन्य देशों का मुख्य उद्देश्य डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी 2023 के ब्रिक्स सम्‍मेलन में कहा था कि अब हमें राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाना चाहिए। यह विचार अब भी 2024 में जारी है।

डॉलर की मजबूती और ब्रिक्स देशों की चुनौती

फेड रिजर्व की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 96 प्रतिशत डॉलर का उपयोग होता है। हालांकि, अब ब्रिक्स देशों की चुनौती बढ़ रही है, जो डॉलर के विकल्प के रूप में अपनी मुद्राओं को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

डॉलर की गिरावट और तेल व्यापार में बदलाव

2023 तक 100 प्रतिशत तेल व्यापार डॉलर में होता था, लेकिन अब यह घटकर 80 प्रतिशत रह गया है। यह बदलाव चीन और रूस द्वारा अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण हुआ है, जिससे दोनों देशों ने अपनी मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि ब्रिक्स देशों द्वारा अपनी करेंसी की कल्पना की जा रही है।

ट्रंप की धमकी: डॉलर पर दबाव बनाए रखने की कोशिश

डोनाल्ड ट्रंप का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर की ताकत बनाए रखना है। अगर ब्रिक्स देशों ने अपनी करेंसी को स्वीकार किया, तो डॉलर की स्थिति में भारी गिरावट आ सकती है। ट्रंप ने पहले भी मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर इसकी शुरुआत की थी और वह किसी भी हद तक जाकर डॉलर की ताकत को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।

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