बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के वकील करीम एए खान की मुलाकात के बाद शेख हसीना के प्रत्यर्पण की चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, इस मामले में कई पेचीदा कानूनी और राजनीतिक पहलू हैं, जिससे उनके प्रत्यर्पण की संभावना कम दिखाई देती है।
New Delhi: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मामला एक बार फिर चर्चा में है, खासकर तब जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के वकील करीम एए खान से मुलाकात की है। इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों पर ICC द्वारा मुकदमे की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जा सकता है।
मुलाकात में मुख्य रूप से मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों पर चर्चा की गई, जिसमें आरोपियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया और संभावित मुकदमों को लेकर विचार-विमर्श हुआ। हालांकि, शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर किसी ठोस निर्णय की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
दोनों देशों के बीच क्या है पुरानी संधि
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जो दोनों देशों के बीच अपराधियों के आदान-प्रदान की व्यवस्था करती है। इस संधि के तहत, भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे के अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया के आधार पर सौंप सकते हैं।
बता दें कि भारत ने इस संधि का उपयोग करके बांग्लादेश से अपराधियों को वापस लाने का प्रयास किया है। 2015 में बांग्लादेश ने अनूप चेतिया, जो असम के अलगाववादी संगठन उल्फा का नेता था और ढाका की जेल में बंद था, को भारत को सौंप दिया था।
क्या टूटेगी दोनों देशों के बीच संधि
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि में यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति पर ऐसा अपराध साबित हुआ हो, जिसमें कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान हो, तो उसे प्रत्यर्पित किया जा सकता है। इस संधि के तहत, दोनों देशों ने आपराधिक मामलों में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का वचन दिया है।
हालांकि, अनुच्छेद 21(3) के तहत यह प्रावधान भी शामिल है कि दोनों देश इस संधि को समाप्त कर सकते हैं। यदि कोई गंभीर या असाधारण स्थिति उत्पन्न होती है, तो दोनों पक्षों को यह अधिकार है कि वे संधि को निरस्त कर दें।
पूर्व पीएम हसीना के खिलाफ कई मामले दर्ज
शेख हसीना के खिलाफ दर्ज 194 मामलों में हत्या सहित कई गंभीर अपराध शामिल हैं, जिनमें से एक बुनकर की हत्या का मामला भी है। इन आरोपों के चलते शेख हसीना को बांग्लादेश में बड़े राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा। 5 अगस्त को ढाका के कफरुल क्षेत्र में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़कने के बाद, स्थिति और बिगड़ गई, जिसके बाद 76 वर्षीय हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।