राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने विदेश दौरे के तहत स्लोवाकिया पहुंच चुकी हैं, जहां उनका भव्य और पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। राष्ट्रपति महल में आयोजित एक विशेष समारोह में स्लोवाकिया के राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य अतिथियों ने उनका स्वागत किया।
ब्रातिस्लावा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को स्लोवाकिया की ऐतिहासिक यात्रा के साथ भारतीय राजनयिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। वे 29 वर्षों के अंतराल के बाद स्लोवाकिया की यात्रा करने वाली दूसरी भारतीय राष्ट्रपति बनीं। इस दो दिवसीय दौरे में न केवल परंपरा और सौहार्द का अद्भुत प्रदर्शन हुआ, बल्कि भारत-स्लोवाक संबंधों में नई ऊर्जा के संचार की भी शुरुआत मानी जा रही है।
ब्रेड और नमक से हुआ पारंपरिक स्वागत
ब्रातिस्लावा स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी ने राष्ट्रपति मुर्मू का पारंपरिक स्लोवाक रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया। लोक वेशभूषा में सज्जित एक जोड़े ने उन्हें 'ब्रेड और नमक' भेंट कर सम्मानित किया, स्लोवाक परंपरा में यह प्रतीक होता है आत्मीयता, सम्मान और मित्रता का। इसके बाद गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें सलामी दी गई।
रणनीतिक मुलाकातों की शुरुआत
राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा केवल औपचारिकता नहीं बल्कि सामरिक साझेदारी की दिशा में एक अहम कदम है। वह स्लोवाक राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगी। इसके साथ ही वे प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको और राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष रिचर्ड रासी से भी मुलाकात करेंगी। इन बैठकों में रक्षा सहयोग, व्यापार विस्तार, उच्च शिक्षा और तकनीकी नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लेकर कई महत्वपूर्ण समझौते संभावित हैं।
सांस्कृतिक संबंधों को भी मिलेगा नया आयाम
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और स्लोवाकिया के संबंध केवल राजनीतिक या आर्थिक नहीं हैं, बल्कि गहरे सांस्कृतिक मूल्यों से भी जुड़े हैं। स्लोवाक विश्वविद्यालयों में संस्कृत के अध्ययन, महात्मा गांधी की रचनाओं के स्लोवाक अनुवाद, और स्लोवाकिया द्वारा यूक्रेन संकट के समय भारतीय छात्रों की मदद को दोनों देशों की ऐतिहासिक निकटता का प्रतीक बताया गया है।
यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत यूरोपीय संघ के साथ अपने रिश्ते को गहरा कर रहा है। स्लोवाकिया जैसे मध्य यूरोपीय देशों के साथ द्विपक्षीय संवाद और सहयोग न केवल भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति को विस्तार देता है, बल्कि यूरोप में उसकी रणनीतिक स्थिति को भी मजबूत करता है।