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ट्रंप का टैरिफ बम बना वैश्विक सिरदर्द, 50 देश अमेरिका से करेंगे बातचीत, जानें वजह

ट्रंप का टैरिफ बम बना वैश्विक सिरदर्द, 50 देश अमेरिका से करेंगे बातचीत, जानें वजह
अंतिम अपडेट: 9 घंटा पहले

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले से ग्लोबल मार्केट में उथल-पुथल मची है। कनाडा-चीन ने जवाबी टैरिफ लगाया, 50+ देश अमेरिका से बातचीत को तैयार हैं।

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई आक्रामक टैरिफ नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका द्वारा अचानक टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद वैश्विक बाजार में भारी अनिश्चितता देखी जा रही है। आलोचना के बीच ट्रंप प्रशासन का दावा है कि टैरिफ लागू करने के बाद से 50 से अधिक देश व्हाइट हाउस से संपर्क कर व्यापार समझौते की इच्छा जता चुके हैं।

व्हाइट हाउस के संपर्क में 50+ देश

ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के मुताबिक, टैरिफ लागू होने के बाद 50 से ज्यादा देशों ने अमेरिका से बातचीत शुरू की है। दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ट्रंप की नीति से अमेरिका को रणनीतिक लाभ मिला है। वहीं, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने स्पष्ट किया कि ये टैरिफ कुछ हफ्तों तक लागू रहेंगे।

ताइवान, इजरायल और भारत ने शुरू की पहल

- ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने ट्रंप से टैरिफ घटाने को लेकर सीधी बातचीत की है। ताइवान की कंपनियां अमेरिका में निवेश बढ़ाने को तैयार हैं।

- इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी ट्रंप से आगामी बैठक में 17% टैरिफ में राहत की मांग की है।

- भारत और अमेरिका के बीच भी बैकडोर बातचीत जारी है। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के अनुसार, भारत 26% टैरिफ के जवाब में कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि संतुलन का रास्ता अपनाना चाहता है।

यूरोप भी टैरिफ के असर से चिंतित

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने वादा किया है कि यूरोपीय सामानों पर 20% टैरिफ से प्रभावित व्यवसायों को राहत दी जाएगी।

अमेरिकी मार्केट में 6 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट

ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी शेयर बाजारों में भूचाल आ गया है। बीते एक हफ्ते में लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप गायब हो चुका है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह आंकड़ा कुल 9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।

मंदी की आशंका गहराई

JP Morgan के विश्लेषकों का मानना है कि इस टैरिफ पॉलिसी के कारण अमेरिका की GDP में 0.3% की गिरावट आ सकती है। वहीं बेरोजगारी दर 4.2% से बढ़कर 5.3% तक जा सकती है। वैश्विक निवेशकों में अनिश्चितता और डर का माहौल बना हुआ है, जिससे ग्लोबल ग्रोथ को भी गहरा झटका लग सकता है।

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