श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने जीत हासिल की है। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दूसरे स्थान पर साजिथ प्रेमदासा रहे। अनुरा कुमारा की पार्टी के संसद में केवल तीन सांसद हैं, लेकिन उनके जोशीले भाषणों और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ने उन्हें इस चुनाव में सफलता दिलाई।
Colombo: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को भारी बहुमत मिला है और वे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। उन्हें 49.8% वोट मिले हैं, जबकि समागी जन बालावेगया के नेता सजित प्रेमदासा को 25.8% वोट प्राप्त हुए हैं। यह चुनाव श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश अभी भी आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है।
रानिल विक्रमसिंघे को मिली हार
श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति और यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुनाव में 16.4% वोट मिले हैं। गोटबाया राजपक्ष के इस्तीफे के बाद विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में अंतरिम राष्ट्रपति का पद संभाला था। इस चुनाव में कुल 75% मतदान हुआ, जो देश के लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता की भागीदारी को दर्शाता है।
मार्क्सवादी नेता थे दिसानायके
अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के मार्क्सवादी नेता हैं, जिनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरेमुना (JVP) है, जो नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन का हिस्सा है। अनुरा कुमारा इस गठबंधन के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। उनकी पार्टी और गठबंधन अर्थव्यवस्था में मजबूत राज्य हस्तक्षेप, कम कर दरों और अधिक बंद बाजार जैसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करते हैं।
55 वर्षीय अनुरा कुमारा को उनके जोशीले और प्रभावशाली भाषणों के लिए जाना जाता है, जिसने उन्हें श्रीलंका की राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया है। उनकी नीतियां आर्थिक असमानता को कम करने और सामाजिक न्याय पर केंद्रित हैं।
नई संसद का करेंगे गठन: अनुरा कुमारा
अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी जेवीपी के पास भले ही संसद में सिर्फ तीन सीटें हों, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने और गरीबों के हित में नीतियां लागू करने के वादे से जनता का विश्वास जीता है। उन्होंने खुद को एक बदलाव लाने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत किया है। चुनाव के दौरान अनुरा ने वादा किया था कि यदि वह सत्ता में आते हैं, तो 45 दिनों के भीतर संसद को भंग कर देंगे और नई संसद का गठन करेंगे।
सोशल मीडिया के जरिए दी जानकारी
श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने चुनाव परिणामों के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा, "एक लंबे और कठिन अभियान के बाद, चुनाव के परिणाम अब स्पष्ट हैं। हालांकि मैंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए काफी प्रचार किया, लेकिन श्रीलंका की जनता ने अपना निर्णय ले लिया है, और मैं अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए उनके जनादेश का पूरी तरह से सम्मान करता हूं।
श्रीलंका पर 2022 में आया था आर्थिक संकट
साल 2022 में श्रीलंका को अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी के कारण देश ईंधन, दवा, और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भी भुगतान करने में असमर्थ था। इसके चलते देश में महंगाई आसमान छूने लगी और आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई। इस संकट से गुस्साए नागरिकों ने राष्ट्रपति के कार्यालय और आवास पर कब्जा कर लिया।
इस अभूतपूर्व विरोध के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा, और अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, सत्ता परिवर्तन के बाद भी श्रीलंका अभी तक इस आर्थिक संकट से पूरी तरह नहीं उबर पाया है।