ब्रिटेन से आई एक अजीबोगरीब खबर, स्कूल के बच्चे खुद की तुलना कर रहे हैं जीवों से, स्कूल प्रशासन ने नहीं जताई आपत्ति
ब्रिटेन के एक स्कूल ने एक बच्चे की भेड़िए के रूप में पहचान को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। वहां के कई स्कूलों के बच्चे लोमड़ी, ड्रैगन, सांप, शार्क और यहां तक कि डायनासोर जैसे जीवों के व्यक्तित्व को अपनाने लगे हैं। इस स्थिति को स्पीशीज डिस्फोरिया के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें बच्चे की शारीरिक पहचान पर किसी अन्य प्रजाति का नियंत्रण होने की अनुभूति होती है।
Britain: ब्रिटेन में बच्चों से संबंधित एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें एक स्कूल ने एक बच्चे की भेड़िए के रूप में पहचान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। जानकारी के अनुसार, वहां कई स्कूलों के बच्चे लोमड़ी, ड्रैगन, सांप, शार्क और यहां तक कि डायनासोर जैसे जीवों के व्यक्तित्व को अपनाने लगे हैं। इस स्थिति को 'स्पीशीज़ डिस्फोरिया' के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे के शरीर पर किसी अन्य प्रजाति का नियंत्रण हो जाता है।
क्या हैं फ़रीज़ ?
ब्रिटेन के एबरडीनशायर में पिछले साल एक स्कूल में एक छात्र ने खुद को बिल्ली मान लिया था, जिसके बाद उसके साथ बिल्ली की तरह व्यवहार किया जाने लगा। हालांकि, स्कूल ने शुरू में इस खबर को महज अफवाह बताया था। यह जानकारी भी सामने आई है कि ये छात्र एक विशेष समूह से संबंधित हैं, जिन्हें 'फरीज' कहा जाता है और ये 'पशु व्यक्तित्व' या 'एनिमल पर्सोना' के रूप में जाने जाते हैं।बच्चों को इस समस्या से निकलना चाहिए
इस मुद्दे पर कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। एक डॉक्टर, मैकके, ने कहा कि स्कूल के शिक्षक कैसे किसी बच्चे को खुद को भेड़िया बताने की अनुमति दे सकते हैं। उनका मानना है कि शिक्षकों को बच्चों को समर्थन देने के बजाय उन्हें इस समस्या से बाहर निकालने और आत्म-नियंत्रण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
डॉक्टर का बयान
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षकों को ऐसी चुनौतियों का सामना करने की योग्यता रखनी चाहिए और अपनी सोच को संतुलित रखना चाहिए, ताकि वे स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकें।