उत्तराखंड में कमजोर चक्रवात के कारण ठंड का असर फिलहाल महसूस नहीं हो रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानों तक न्यूनतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक बना हुआ है। अक्टूबर में वर्षा में 91 प्रतिशत की कमी देखी गई है। मौसम में बदलाव की उम्मीद दिवाली के बाद जताई जा रही है।
Uttrakhand Weather: बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात के कमजोर रहने से उत्तराखंड में ठंड का असर अभी तक महसूस नहीं किया गया है। इसका प्रभाव पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, जहां पिछले वर्षों की तुलना में न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक अधिक बना हुआ है।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे मुख्य कारण वर्षा की कमी है। 2 अक्टूबर को उत्तराखंड से मानसून की विदाई के बाद से बंगाल की खाड़ी में कोई मजबूत चक्रवात नहीं बना है, जिसके चलते अक्टूबर की वर्षा में 91 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। हालांकि, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों और मैदानी भूभाग में सुबह-शाम के तापमान में थोड़ी गिरावट आई है, फिर भी यह पिछले वर्षों और सामान्य तापमान के मुकाबले अधिक बना हुआ है।
ठंड का खास असर नहीं
पिथौरागढ़ और चंपावत में लोगों के बीच चर्चा है कि अक्टूबर विदाई की दहलीज पर है, लेकिन ठंड का खास असर महसूस नहीं हो रहा है। इस पर विचार करते हुए जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी डॉ. आरके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में अक्टूबर में वर्षा आमतौर पर बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात के प्रभाव से होती है।
इस वर्ष, कमजोर चक्रवात के चलते ठंड का प्रभाव कम है और तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर चक्रवातों की गतिविधि इसी तरह कमजोर रही, तो ठंड में भी कमी बनी रह सकती है।
वर्षा की कमी और उसके प्रभाव
हवा अपनी संगत नमी के साथ उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के साथ-साथ देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में वर्षा लाती है। लेकिन इस बार मजबूत चक्रवातों का अभाव देखा गया है।
एक से 22 अक्टूबर के बीच, राज्य में 28.9 मिमी वर्षा हुई थी, जबकि इस बार केवल 2.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। विशेष रूप से, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, ऊधम सिंह नगर और उत्तरकाशी जैसे क्षेत्रों में अक्टूबर में एक बूंद भी वर्षा नहीं हुई। इस कमी का असर ठंड के अनुभव पर भी पड़ रहा है, जिससे लोग ठंड को विशेष रूप से महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
अक्टूबर से दिसंबर में वर्षा के कारक
अक्टूबर से दिसंबर के बीच की पोस्ट मानसून अवधि में होने वाली वर्षा मुख्यतः बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवातों और पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करती है। मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि नवंबर से पश्चिमी विक्षोभों की गतिविधि शुरू हो जाएगी।
इस दौरान, बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवातों को पश्चिमी विक्षोभ का सहयोग मिल जाएगा, जिससे वर्षा और हिमपात की गतिविधियाँ बढ़ने लगेंगी। इसके परिणामस्वरूप, ठंड का प्रभाव भी अधिक महसूस किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मध्य अप्रैल तक जारी रहता है, जिससे मौसम में बदलाव और ठंडक में वृद्धि की संभावना है।
प्रमुख स्थानों का न्यूनतम तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
स्थान तापमान (°C) सामान्य से अधिक (°C)
मुक्तेश्वर 9.4 0.9
पंतनगर 19.4 4.0
अल्मोड़ा 8.7 2.0
पिथौरागढ़ 12.5 1.9
देहरादून 17.5 2.2
टिहरी 11.7 1.2
पिछले 10 वर्षों के तापमान रिकॉर्ड
पिछले 10 वर्षों के मौसम के आंकड़ों के अनुसार, कुमाऊं के मुक्तेश्वर में 25 अक्टूबर 2012 को तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस के साथ सबसे कम दर्ज किया गया। इसके बाद, 27 अक्टूबर 2020 को 7.9 डिग्री तापमान के साथ एक और सर्द दिन सामने आया।
पंतनगर में भी 29 अक्टूबर 2012 को 8.9 डिग्री सेल्सियस का न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड किया गया, जबकि 22 अक्टूबर 2019 को यह तापमान 13.2 डिग्री तक गिर गया।
इस साल वर्षा में कमी के कारण तापमान में अपेक्षानुरूप गिरावट नहीं आई है। मौसम विशेषज्ञ का कहना है कि 22 और 23 अक्टूबर को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आंशिक बादल रहेंगे, जबकि अगले एक सप्ताह मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इसके साथ ही, पश्चिमी विक्षोभ के आने से हवा की दिशा में भी बदलाव होगा।