सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को एक और गौरवपूर्ण क्षण प्रदान किया है। उन्होंने 200 मीटर टी12 कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह कैटेगरी नेत्रहीन या दृष्टिबाधित एथलीटों के लिए होती है और इस कैटेगरी में यह भारत का पहला पैरालंपिक पदक हैं।
स्पोर्ट्स न्यूज़: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है और शनिवार को सिमरन शर्मा ने महिलाओं की 200 मीटर टी12 रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। सिमरन ने 24.75 सेकंड में रेस पूरी करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। यह भारत के लिए इस कैटेगरी में पहला पैरालंपिक मेडल है, जिससे सिमरन ने अपने नाम को इतिहास के पन्नों में दर्ज कर लिया है। सिमरन का यह मेडल उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है और यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनके इस प्रदर्शन ने पैरालंपिक में भारत के पदकों की संख्या और सम्मान में वृद्धि की हैं।
सिमरन ने 200 मी. रेस में जीता पदक
सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में 200 मीटर टी12 रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपनी शानदार वापसी की। 100 मीटर में अभय सिंह के साथ हिस्सा लेने के बाद, जहां सिमरन मेडल जीतने से चूक गई थीं, उन्होंने 200 मीटर रेस में बेहतरीन प्रदर्शन कर यह कमी पूरी की। सिमरन की नजरें गोल्ड पर थीं, जैसा कि उन्होंने 2024 वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड दिलाकर दिखाया था, लेकिन इस बार वह ब्रॉन्ज जीतने में सफल रहीं।
हालांकि सिमरन की शुरुआत थोड़ी धीमी रही, लेकिन अंतिम 10 सेकंड में उनकी जोरदार वापसी ने उन्हें तीसरा स्थान दिलाया। वहीं, क्यूबा की महान एथलीट ओमारा डुरैंड ने पहला स्थान हासिल करते हुए अपना 11वां पैरालंपिक गोल्ड जीता। ओमारा 100 मीटर और 400 मीटर रेस में भी हिस्सा लेती हैं। ईरान की हगर सफरजादेह ने दूसरा स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल जीता।
सिमरन ने चुनौतियों का सामना करते हुए पाया मुकाम
सिमरन शर्मा की जीवन यात्रा संघर्ष और दृढ़ संकल्प की प्रेरणादायक कहानी है। सिमरन को देखने में परेशानी होती है और अपने जीवन में उन्होंने कई गंभीर चुनौतियों का सामना किया। उनके पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और उनका निधन सिमरन के जीवन में एक बड़ा झटका था। बावजूद इसके, उनके पिता हमेशा उनके सबसे बड़े समर्थक थे। सिमरन ने बचपन से ही खेलों में अपनी दिलचस्पी दिखाई और स्कूल के दौरान कई मेडल भी जीते।
हालांकि, आर्थिक तंगी के चलते उन्हें खेल में आगे बढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन सिमरन की जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात कोच गजेंद्र सिंह से हुई। गजेंद्र सिंह ने सिमरन के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सिमरन को सभी आवश्यक सुविधाएं और समर्थन प्रदान किया, जिससे सिमरन ने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और पैरालंपिक में पदक जीतने तक का सफर तय किया।