BJP Cabinet: भारत में बनेगा तीसरा लॉन्च पैड, कैबिनेट ने दी 3,984 करोड़ के प्रोजेक्ट को हरी झंडी

BJP Cabinet: भारत में बनेगा तीसरा लॉन्च पैड, कैबिनेट ने दी 3,984 करोड़ के प्रोजेक्ट को हरी झंडी
Last Updated: 1 दिन पहले

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने श्रीहरिकोटा में इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर में 3,985 करोड़ रुपये की लागत से तीसरे लॉन्च पैड की मंजूरी दी।

Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर में तीसरे लॉन्च पैड (TLP) की स्थापना को मंजूरी दी है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में जानकारी दी।

प्रोजेक्ट का उद्देश्य और लागत

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इसरो के सतीश धवन स्पेस सेंटर में 3,985 करोड़ रुपये की लागत से तीसरा लॉन्च पैड स्थापित किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट 48 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है और इसका उद्देश्य इसरो के लॉन्च बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, साथ ही साथ नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का समर्थन करना भी है।

टीएलपी का महत्व 

इस तीसरे लॉन्च पैड को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह NGLV और LVM3 वाहनों के साथ विभिन्न कॉन्फ़िगरेशन का समर्थन कर सके। यह आगामी ह्यूमन मिशनों और बड़े अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स के लिए भारत की क्षमता को बढ़ाएगा। तीसरा लॉन्च पैड मौजूदा दूसरे लॉन्च पैड के लिए एक महत्वपूर्ण बैकअप के रूप में भी काम करेगा। यह डिज़ाइन इसरो के व्यापक अनुभव और उद्योग की भागीदारी पर केंद्रित होगा।

वर्तमान लॉन्च पैड और टीएलपी की आवश्यकता

वर्तमान में, भारत के पास दो परिचालन लॉन्च पैड हैं—पहला लॉन्च पैड (FLP) जिसे 30 साल पहले स्थापित किया गया था और दूसरा लॉन्च पैड (SLP) जो पिछले 20 साल से सेवा में है। तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि भारत 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चालक दल वाले चंद्र मिशनों जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

भारत की अंतरिक्ष प्रोग्राम की भविष्यवाणी

इस तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के आने वाले 25-30 वर्षों की जरूरतों को समायोजित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह कदम भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण की क्षमताओं को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास है।

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