Dublin

चीन की इन्फिनएस्ट्रो अंतरिक्ष कंपनी ने जुटाए करोड़ों युआन, अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स में बड़ा बदलाव

चीन की इन्फिनएस्ट्रो अंतरिक्ष कंपनी ने जुटाए करोड़ों युआन, अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स में बड़ा बदलाव
अंतिम अपडेट: 2 घंटा पहले

चीन की अंतरिक्ष कंपनी इन्फिनएस्ट्रो ने करोड़ों युआन की फंडिंग जुटाई है। इसका लक्ष्य सस्ती और तेज़ स्पेस लॉजिस्टिक्स सेवा देना है, जिससे उपग्रहों को सही कक्षा में पहुंचाना आसान होगा। यह तकनीक भविष्य के मिशनों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

हेलसिंकी: चीन की एक नई और तेजी से बढ़ती हुई अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स कंपनी, इन्फिनएस्ट्रो ने अपनी योजनाओं को और भी विस्तार देने के लिए करोड़ों युआन की एंजल राउंड फंडिंग हासिल की है। इस फंडिंग का उद्देश्य कंपनी को अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स और वाणिज्यिक अंतरिक्ष सेवाओं में नया विकास लाने के लिए और अधिक संसाधन प्रदान करना है। खासकर, कंपनी का फोकस कक्षीय स्थानांतरण वाहनों (OTVs) के क्षेत्र में नवाचार करने पर है। इस लेख में हम इन्फिनएस्ट्रो की इस नई पहल, उसके वित्तपोषण और कंपनी की भविष्यवाणियों को समझेंगे।

इन्फिनएस्ट्रो का मकसद और तकनीक क्या है?

इन्फिनएस्ट्रो, जिसे आधिकारिक रूप से "बीजिंग इन्फिनिटी एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड" कहा जाता है, चीन की एक नई अंतरिक्ष तकनीक कंपनी है। हाल ही में इसने निवेशकों से करोड़ों युआन की शुरुआती फंडिंग (जिसे 'एंजल फंडिंग' कहा जाता है) हासिल की है। यह रकम अमेरिकी डॉलर में लगभग 3 से 13 मिलियन डॉलर के बीच हो सकती है।

इस पैसे का इस्तेमाल कंपनी अपनी खास तकनीक – ऑर्बिटल ट्रांसफर व्हीकल्स (OTVs) – को विकसित करने में करेगी। इन्हें आम भाषा में 'स्पेस बस' कहा जा रहा है। इन स्पेस बसों का काम होगा – उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी तय जगह, यानी सही कक्षा (orbit) तक पहुंचाना।

जब कोई उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा जाता है, तो वह हमेशा सीधा अपनी अंतिम जगह पर नहीं पहुंचता। उसे वहां तक पहुंचाने के लिए एक अतिरिक्त वाहन की जरूरत होती है – और यही काम करेगी इन्फिनएस्ट्रो की ‘स्पेस बस’। ये वाहन एक तरह से अंतरिक्ष के ट्रांसपोर्ट सिस्टम की तरह होंगे, जो उपग्रहों को उनकी सही जगह पर पहुंचाएंगे, ताकि वे अपना काम ठीक से कर सकें।

स्पेस बस क्या है और क्यों है ये जरूरी?

स्पेस बस एक खास अंतरिक्ष वाहन है, जो उपग्रहों को उनकी सही कक्षा (Orbit) तक पहुंचाने का काम करता है। जब कोई रॉकेट उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाता है, तो वह सीधा उसकी मंज़िल तक नहीं पहुंचा पाता। ऐसे में स्पेस बस उसे वहां तक छोड़ने का काम करती है – जैसे एयरपोर्ट से घर तक टैक्सी ले जाना।

चीनी कंपनी इन्फिनएस्ट्रो ने इस स्पेस बस तकनीक पर काम शुरू किया है और करोड़ों युआन की फंडिंग भी जुटाई है। उनका दावा है कि उनकी 'स्पेस बस' तकनीक उपग्रह तैनाती को 66% सस्ता और 85% तेज बना सकती है। यह तकनीक अंतरिक्ष मिशनों को आसान, सस्ता और तेज बनाएगी – ठीक वैसे जैसे ऑनलाइन शॉपिंग में तेज डिलीवरी काम करती है।

क्या होता है 'अंतिम-मील लॉजिस्टिक्स'?

आपने कभी ऑनलाइन शॉपिंग की होगी, है ना? जब आप कोई सामान ऑर्डर करते हैं, तो वह पहले गोदाम से निकलता है, फिर ट्रक या वैन से आपके शहर आता है, और आखिर में किसी डिलीवरी बॉय के ज़रिए आपके घर पहुंचता है। इस 'आखिरी पड़ाव' को ही लॉजिस्टिक्स की भाषा में 'अंतिम-मील' यानी Last Mile Delivery कहा जाता है।

अब यही सोचिए, जब कोई उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा जाता है, तो वह सीधे अपनी मंज़िल (यानि सही ऑर्बिट या कक्षा) पर नहीं पहुंच पाता। उसे वहां तक लाने के लिए भी एक 'डिलीवरी सिस्टम' चाहिए होता है। ठीक उसी तरह जैसे आपका पार्सल लास्ट में डिलीवरी बॉय लाता है।

इसी काम के लिए इन्फिनएस्ट्रो नाम की कंपनी ने एक खास तरह की 'स्पेस बस' बनाई है। यह स्पेस बस एक तरह का वाहन है जिसे OTV (ऑर्बिटल ट्रांसफर व्हीकल) कहा जाता है। इसका काम होगा – उपग्रह को उसकी आखिरी मंज़िल यानी सही कक्षा तक पहुंचाना।

इससे फायदा क्या होगा?

  • उपग्रह को उसकी जगह पहुंचाने में कम समय लगेगा
  • इस पूरी प्रक्रिया की लागत भी घटेगी
  • और सबसे अहम – उपग्रह की तैनाती ज्यादा सटीक और भरोसेमंद होगी

अंतरराष्ट्रीय और चीन के बाजार की ज़रूरतें

इन्फिनएस्ट्रो ने बताया कि साल 2020 के बाद से अंतरिक्ष में उपग्रहों को उनकी सही जगह पर पहुंचाने के लिए ;ऑर्बिटल ट्रांसफर व्हीकल्स; (OTV) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसका मतलब यह है कि अब अंतरिक्ष में लॉजिस्टिक्स यानी सामान और उपकरणों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने की ज़रूरत बढ़ रही है। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। जैसे अमेरिका की एक कंपनी इंपल्स स्पेस, जिसे स्पेसएक्स के पूर्व सदस्य टॉम म्यूएलर ने शुरू किया था, इस क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है।

इन्फिनएस्ट्रो का मानना है कि चीन में अभी भी ऐसी तकनीकों की कमी है। खासतौर पर उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी सही जगह तक ले जाने वाली सेवाएं ज्यादा उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में उनकी 'स्पेस बस' तकनीक इस कमी को पूरा कर सकती है।

कंपनी का कहना है कि आने वाले सालों में ऐसी सेवाओं की ज़रूरत काफी बढ़ेगी। यूरोकंसल्ट की 2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2031 तक दुनियाभर में करीब 120 ऑर्बिटल ट्रांसफर व्हीकल्स अंतरिक्ष में काम कर रहे होंगे। यह दिखाता है कि इस सेक्टर में कितनी बड़ी ग्रोथ होने वाली है।

इन्फिनएस्ट्रो का भविष्य और अंतरिक्ष क्षेत्र पर असर

इन्फिनएस्ट्रो का मानना है कि आने वाले समय में अंतरिक्ष में काम करने वाली सेवाओं की बहुत ज्यादा ज़रूरत पड़ेगी। आज दुनिया भर में कई देश और प्राइवेट कंपनियां अपने उपग्रह अंतरिक्ष में भेज रही हैं। लेकिन उन्हें सही कक्षा (Orbit) में पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होती है — और यही काम इन्फिनएस्ट्रो की 'स्पेस बस' तकनीक बहुत आसान बना सकती है।

इस तकनीक की मदद से उपग्रहों को 200 किलोमीटर से लेकर 36,000 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक बिल्कुल सटीक तरीके से पहुंचाया जा सकता है। इसका मतलब है कि उपग्रह बहुत तेजी से और कम लागत में अपनी जगह पर स्थापित हो सकेंगे।

इतना ही नहीं, इन्फिनएस्ट्रो भविष्य में और भी काम करने की तैयारी में है — जैसे:

  • पुराने हो रहे उपग्रहों की उम्र बढ़ाना
  • पृथ्वी की भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) तक मिशन भेजना
  • और यहां तक कि चंद्रमा और मंगल तक जरूरी सामान पहुंचाने की सुविधा देना

इन्फिनएस्ट्रो की यह नई पहल अंतरिक्ष लॉजिस्टिक्स की दुनिया में एक बड़ा और अहम कदम है। इसकी मदद से अब उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी सही जगह पर पहुंचाना न सिर्फ तेज़ होगा, बल्कि पहले से कहीं ज्यादा सस्ता भी हो जाएगा। यह तकनीक उन मिशनों के लिए भी फायदेमंद होगी, जो अब तक जटिल या महंगे माने जाते थे।

अगर इन्फिनएस्ट्रो अपनी इन योजनाओं को सही ढंग से लागू कर पाती है, तो यह सिर्फ चीन के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के अंतरिक्ष उद्योग के लिए बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। इसे एक गेम-चेंजर यानी खेल बदल देने वाली तकनीक कहा जा सकता है।

इस तरह की तकनीकी तरक्की से लोगों की अंतरिक्ष को देखने की सोच भी बदल सकती है। अब तक अंतरिक्ष मिशनों को सिर्फ बड़े देशों या बड़ी एजेंसियों तक सीमित माना जाता था, लेकिन अब प्राइवेट कंपनियाँ भी इसमें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। इससे छोटे देशों और नई कंपनियों को भी अंतरिक्ष में काम करने का मौका मिल सकता है।

Leave a comment