इसरो का ROBA-3 मिशन, जो सूर्य के कोरोना (सूर्य के बाहरी वातावरण) का अध्ययन करने के लिए था, तकनीकी खराबी के कारण आज लॉन्च नहीं हो सका और इसे स्थगित कर दिया गया है। यह मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से विकसित किया गया।
इसरो: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आज लॉन्च होने वाला PSLV-C59 रॉकेट और ROBA-3 मिशन तकनीकी खराबी के कारण स्थगित कर दिया गया है। इस मिशन को अब कल के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है। ISRO ने जानकारी दी है कि यह मिशन अब 5 दिसंबर 2024 को शाम 16:12 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से लॉन्च किया जाएगा।
यह मिशन, जिसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का ROBA-3 उपग्रह शामिल है, सूर्य के कोरोना (सूर्य के बाहरी वातावरण) का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं।
इसरो की ROBA-3 मिशन लॉन्चिंग हुई स्थगित
PROBA-3 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एक महत्वपूर्ण मिशन है, जो सूर्य के कोरोना (सूर्य के बाहरी वातावरण) का अध्ययन करेगा। कोरोना सूर्य की परिमंडल की सबसे बाहरी और गर्म परत होती है, और इसका अध्ययन सूर्य के बाहरी एटमॉस्फियर और उसके तापमान को समझने में मदद करेगा। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) सहयोग कर रही हैं।
ISRO ने इससे पहले भी PROBA मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिनमें PROBA-1 (2001) और PROBA-2 (2009) शामिल हैं। दोनों मिशनों में ISRO को सफलता मिली थी। PROBA-3 मिशन में दो मुख्य स्पेसक्राफ्ट शामिल होंगे:
* Occulter (200 किलोग्राम): इसका उद्देश्य सूर्य के चमकदार डिस्क से सूर्य के कोरोना को अलग करके उसे देखने में मदद करना है।
* Coronagraph (340 किलोग्राम): यह उपकरण सूर्य के कोरोना के विस्तृत अध्ययन के लिए प्रयोग किया जाएगा। लॉन्च के बाद, ये दोनों स्पेसक्राफ्ट अलग-अलग हो जाएंगे और फिर उन्हें सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक साथ पोजिशन किया जाएगा।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
PROBA-3 मिशन यूरोप के कई देशों के सहयोग से एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों का योगदान शामिल है। इस मिशन की कुल लागत लगभग 200 मिलियन यूरो (लगभग 1,800 करोड़ रुपये) है। PROBA-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है, और यह दो साल तक चलेगा।
इस मिशन की एक महत्वपूर्ण विशेषता है "प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग" (Precision Formation Flying), जिसे पहली बार अंतरिक्ष में परीक्षण किया जाएगा। इसके तहत दो सैटेलाइट एक साथ उड़ेंगे और वे एक निश्चित कॉन्फिगरेशन (पोजिशन) को लगातार बनाए रखेंगे। इन सैटेलाइट्स को बहुत सटीकता से नियंत्रित किया जाएगा, ताकि वे एक दूसरे से बिल्कुल सही दूरी पर रहें और सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक साथ काम करें।
इस नई तकनीक का प्रयोग अंतरिक्ष में उच्चतम सटीकता वाले समन्वय को सुनिश्चित करेगा, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना के बारे में विस्तृत और सटीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। यह मिशन न केवल सूर्य के अध्ययन में मदद करेगा, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा।