महंगाई पर रघुराम राजन की चेतावनी के बाद RBI का कड़ा रुख, नहीं कसा नकेल तो जनता करेगी त्राहिमाम

महंगाई पर रघुराम राजन की चेतावनी के बाद RBI का कड़ा रुख, नहीं कसा नकेल तो जनता करेगी त्राहिमाम
Last Updated: 5 घंटा पहले

महंगाई पर सख्ती बरतने की आवश्यकता के संबंध में रघुराम राजन की सलाह के बाद, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में यह स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि महंगाई पर काबू पाने के लिए सख्त उपाय नहीं किए गए, तो यह फिर से तेज़ी पकड़ सकती है।

आरबीआई: अमेरिका के शिकागो बूथ में वित्त के प्रोफेसर और पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की सलाह के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई के प्रति सख्त रुख अपनाता हुआ नजर आ रहा है। बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 को मौद्रिक नीति समिति द्वारा रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के फैसले की घोषणा करते हुए आरबीआई ने चेतावनी दी कि महंगाई पर सख्ती से नियंत्रण रखना आवश्यक है; अन्यथा, देश की जनता एक बार फिर महंगाई की मार से त्राहिमाम करती दिखाई देगी।

रघुराम राजन की महंगाई पर आरबीआई को नसीहत

आरबीआई के पूर्व गवर्नर और शिकागो बूथ में वित्त के प्रोफेसर रघुराम राजन ने अक्टूबर 2024 की शुरुआत में महंगाई पर गंभीर चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत के केंद्रीय बैंक को रेपो रेट निर्धारित करते समय खाद्य महंगाई को गणना से बाहर रखना एक चिंताजनक मुद्दा है। खाद्य कीमतों को मुख्य महंगाई में शामिल नहीं करने से आरबीआई पर जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि महंगाई को ऐसे समूह पर लक्षित किया जाना चाहिए, जिसमें उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं शामिल हों। राजन ने याद दिलाया कि जब वह गवर्नर थे, तब भी हम उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) को लक्षित कर रहे थे, लेकिन यह उपभोक्ताओं की वास्तविक चुनौतियों से संबंधित नहीं था। उन्होंने कहा कि जब आरबीआई कहता है कि महंगाई कम है, तो यह पीपीआई पर ध्यान केंद्रित करता है।

रघुराम राजन की नसीहत से सतर्क हुआ आरबीआई

रघुराम राजन की चेतावनी के बाद, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

उन्होंने महंगाई पर सख्ती से लगाम लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया, अन्यथा इसमें फिर से तेजी आ सकती है। गवर्नर ने यह भी बताया कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) ढांचे को 2016 में लागू करने के बाद से 8 साल पूरे हो गए हैं, जिसे भारत में 21वीं सदी का एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार माना गया है।

आरबीआई ने महंगाई अनुमान 4.5% पर बरकरार रखा

केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई 2% घट-बढ़ के साथ 4% पर स्थिर रहे। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (पीपीआई) आधारित महंगाई के अपने अनुमान को 4.5% पर बरकरार रखा है।

महंगाई दर की दूसरी तिमाही में 4.1%, तीसरी तिमाही में 4.8% और चौथी तिमाही में 4.2% रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए महंगाई के 4.3% रहने का अनुमान है, और जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

प्याज, आलू और चना दाल से महंगाई में होगी वृद्धि

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि सितंबर में महंगाई दर में तेजी का एक कारण प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि है। 2023-24 में प्याज, आलू, और चना दाल के उत्पादन में कमी इसके प्रमुख कारकों में से एक होगी। हालांकि, अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार, और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल महंगाई दर में क्रमिक रूप से नरमी आने की उम्मीद है।

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