EMI Calculator: महंगाई दर बढ़ने से सस्ती ईएमआई की उम्मीदों को लगा बड़ा झटका, आरबीआई की MPC बैठक में लिया जाएगा यह फैसला?

EMI Calculator: महंगाई दर बढ़ने से सस्ती ईएमआई की उम्मीदों को लगा बड़ा झटका, आरबीआई की MPC बैठक में लिया जाएगा यह फैसला?
Last Updated: 1 दिन पहले

आरबीआई रेपो रेट, अगस्त 2024 में महंगाई दर घटकर 3.65 फीसदी पर आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें जगी थीं। लेकिन महंगाई दर में अचानक वृद्धि के कारण ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएँ अब कम होती दिखाई दे रही हैं।

खुदरा महंगाई डेटा: अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) 6 प्रतिशत के पार जाने के बाद, भारतीय शेयर बाजार में बुधवार के कारोबारी सत्र में निराशा का माहौल है। इसके परिणामस्वरूप सस्ती ईएमआई (EMI) की उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है। खुदरा महंगाई दर आरबीआई (RBI) के सहिष्णुता सीमा के ऊपरी स्तर से काफी ऊपर, 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इस स्थिति में, दिसंबर 2024 में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक (RBI MPC Meeting) में रेपो दर (Repo Rate) में कटौती की संभावना समाप्त हो गई है।

फरवरी 2025 तक भी ब्याज दरों में नहीं होगी कोई कमी

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई दर में आई तेज बढ़ोतरी के चलते फरवरी 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरों में कमी की संभावना बेहद कम है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले कई बार यह संकेत दिया है कि केवल तब ही केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती पर विचार करेगा, जब महंगाई दर 4 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर हो जाएगी।

वैश्विक तनाव से आयातित

महंगाई का जोखिम खाद्य महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन चुका है। अक्टूबर में खाद्य महंगाई दर 10.87 प्रतिशत के डबल डिजिट में पहुँच गई है, जबकि खुदरा महंगाई दर 14 महीनों के उच्चतम स्तर पर है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक रिसर्च विवेक राठी के अनुसार, जारी भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साथ डॉलर के मुकाबले रुपये की निरंतर कमजोरी महंगाई पर दबाव बढ़ा सकती है, विशेषकर आयातित महंगाई पर। उन्होंने बताया कि घरेलू और आयातित महंगाई के कारण यह संभावना बेहद कम है कि आरबीआई जल्दबाजी में पॉलिसी रेट्स में कोई बड़ा बदलाव करेगा।

ब्याज दरों में कटौती में देरी की संभावना?

केयरएज रेटिंग्स की प्रमुख अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि वर्तमान महंगाई के प्रवृत्तियों से यह संकेत मिल रहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में महंगाई आरबीआई के पूर्वानुमान से अधिक रह सकती है, जिसके कारण ब्याज दरों में कटौती की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। उन्होंने बताया कि आरबीआई के टॉलरेंस बैंड से ऊपर महंगाई दर होने के कारण मौद्रिक नीति समिति दिसंबर में अपने नीति दरों को वर्तमान स्तरों पर बनाए रखने का निर्णय लेगी।

रजनी सिन्हा ने यह भी कहा कि इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई में कमी आने से समग्र महंगाई दर में गिरावट आएगी। यदि ऐसा होता है, तो फरवरी 2025 में आरबीआई के लिए रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की कटौती की संभावना बन सकती है।

महंगी ईएमआई से राहत नहीं मिलेगी

मई 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.80 फीसदी पर पहुंचने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में वृद्धि करना शुरू किया। छह मौद्रिक नीति समिति की बैठकों में रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर फरवरी 2023 तक 6.50 फीसदी कर दिया गया। अगस्त 2024 में महंगाई दर घटकर 3.65 फीसदी पर गई।

इसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि आरबीआई के रेपो रेट में कटौती के कारण महंगाई और ईएमआई से लोगों को राहत मिल सकती है। लेकिन पिछले दो महीनों में महंगाई दर में तेज वृद्धि देखने को मिली है। इस प्रकार, महंगी ईएमआई से राहत मिलने की संभावना फिलहाल समाप्त होती हुई नजर रही है।

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