Surdas Jayanti 2025: इस साल सूरदास जयंती 2 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है, जो सुबह 9:13 बजे समाप्त होगी। इस दिन, खास तौर पर सूरदास जी की भक्ति और उनके योगदान को याद किया जाएगा। वहीं, 1 मई को विनायक चतुर्थी का भी पर्व मनाया जाएगा।
सूरदास जी की पूजा का महत्व
सूरदास जी, भगवान कृष्ण के परम भक्त थे और वे अपनी रचनाओं के जरिए कृष्ण भक्ति को प्रमोट करते थे। उनके दोहे और गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। सूरदास जयंती के दिन, विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है, और उनके भक्तों को उनकी भक्ति के प्रति सम्मान अर्पित किया जाता है। इस दिन, मंदिरों में भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन होते हैं।
शुभ योग और मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार, सूरदास जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं, जो विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इसके साथ ही, शिववास योग भी बन रहा है, जो किसी भी पूजा या व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इन योगों में भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
सूरदास जी के प्रसिद्ध दोहे
सूरदास जी के दोहे जीवन के गहरे अर्थ और भगवान कृष्ण की भक्ति में समर्पण को दर्शाते हैं। यहां उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे दिए जा रहे हैं:
"मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु।
नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु।।
मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन।
चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु।।
इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासनी के ऐनु।
सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्प बृच्छ सुरधेनु।"
"मैं नहीं माखन खायो मैया। मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो।।
देखी तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो।
हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसे करि पायो।।
मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो।
डारि सांटि मुसुकाइ जशोदा स्यामहिं कंठ लगायो।।
बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो।
सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो।।"