Nag Panchami: भारत में नागों से जुड़ें छह रहस्मयी मंदिर, नागपंचमी के दिन यहां पूजा करने से पूरी होती है मन्नत

Nag Panchami: भारत में नागों से जुड़ें छह रहस्मयी मंदिर, नागपंचमी के दिन यहां पूजा करने से पूरी होती है मन्नत
Last Updated: 09 अगस्त 2024

Nag Panchami: भारत में नागों से जुड़ें छह रहस्मयी मंदिर, नागपंचमी के दिन यहां पूजा करने से पूरी होती है मन्नत 

श्रावण मास यानि सावन महीने के शुक्लपक्ष की जिस पंचमी तिथि पर नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है उसे हिंदू धर्म में नागपंचमी कहा जाता है। देश में उनसे जुड़े प्रमुख तीर्थ मंदिर हैं जो नागों से जुड़े हुए हैं। इन मंदिरों के बारे जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख-

Temple of Nag Devta: नाग देवता की पूजा और विशेष रूप से नाग पंचमी पर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना सनातन परंपरा में महत्वपूर्ण है। नाग देवताओं की पूजा पौराणिक काल से चली रही है। हर शिव मंदिर में नाग देवता की पूजा होती है लेकिन भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो नागदेवता को ही समर्पित हैं। जहाँ दर्शन और पूजा से भक्तों की हर मन्नत पूरी होती है।

1. नागचंद्रेश्वर मंदिर : उज्जैन - उज्जैन के महाकाल मंदिर में नाग देवता का एक विशेष मंदिर हैं, जो हिंदू मान्यताओं के अनुसार सप्तपुरियों में से एक नाग देवता का प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यह पूरे साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है। खास तौर पर इस मंदिर को तक्षक नाग के लिए जाना जाता ,है हिंदू मान्यता के मुताबिक इस मंदिर में विराजमान रहते हैं। महाकाल के मंदिर में नागचंद्रेश्वर के दर्शन तीसरी मंजिल स्थित मंदिर में होते हैं, जहां पर नाग देवता भगवान शिव के गले में लिपटे हुए रहते हैं।

 

2. कर्कोटक नाग मंदिर: नैनीताल- उज्जैन के बाद दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल का करकोटक मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों में शामिल है। नाग देवता को समर्पित इस मंदिर को 'भीमताल का मुकुट' कहा जाता है। पहाड़ के घने जंगलों में स्थित इस मंदिर में नागपूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। मान्यता है कि कर्कोटक मंदिर में पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति के जीवन से सर्पदंश का दोष दूर हो जाता है। इस मंदिर में भक्त दूर-दूर से कालसर्प दोष की पूजा कराने के लिए आते हैं।

3. नाग वासुकी मंदिर: प्रयागराज- उत्तरप्रदेश का प्रयागराज, जिसे संगम नगरी भी कहा जाता है, उसमें नाग वासुकी का मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे दारागंज मोहल्ले में स्थित है और विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन भक्तों की भारी भीड़ को आकर्षित करता है। इस मंदिर की पूजा और दर्शन में खास महत्व है, विशेष रूप से नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता को दूध एवं गंगाजल चढ़ाकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार प्रयागराज के इस प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर में पूजा-पाठ करने पर व्यक्ति की कुंडली में आए कालसर्प दोष दूर हो जातें हैं।

4. मन्नाारशाला सर्प मंदिर: केरल- दक्षिण भारत में स्थित नागों को समर्पित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। बता दें कि इस मंदिर में नाग देवता की हजारों मूर्तियां मौजूद हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि पांडवों के समय से ही इस मंदिर की पूजा-अर्चना होती रही है। इस मन्नारशाला सर्प मंदिर में दर्शन और पूजन करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। स्थानीय लोग इस मंदिर को "स्नेक टेंपल" के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि यहाँ पर नाग देवताओं की बहुत सारी मूर्तियाँ हैं और यहाँ की पूजा परंपरा पूरी तरह से नागों से जुड़ी हुई है। नागों के इस मंदिर में कालसर्पदोष की विशेष पूजा का विधान है।

5. धौलीनाग मंदिर: उत्तराखंड- 'धौलीनाग मंदिर' उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित एक प्रमुख नाग मंदिर है, जिसे विशेष रूप से नाग देवता की पूजा के लिए जाना जाता है। यह मंदिर विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन भक्तों द्वारा अत्यधिक श्रद्धा के साथ पूजा जाता है और इसके पौराणिक महत्व की मान्यता भी है। हिंदू मान्यता के अनुसार, धौलीनाग मंदिर का संबंध कालिया नाग से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि धौलीनाग कालिया नाग के सबसे बड़े पुत्र हैं। नागपंचमी के दिन भक्त विशेष पूजा सामग्री जैसे दूध, पुष्प और भोग चढ़ाते हैं और नाग देवता से आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि धौलीनाग की पूजा करने से प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि से रक्षा होती है। यह मंदिर विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो ऐसी समस्याओं से प्रभावित होते हैं।

6. भीलट देव मंदिर: मध्यप्रदेश- मध्यप्रदेश के बड़वानी में स्थित नागलवाड़ी शिखरधाम स्थित लगभग 950 साल पुराने भीलटदेव मंदिर को सबसे चमत्कारी मंदिर माना जाता है। यहां हर वर्ष नागपंचमी के पर्व पर मेला लगता है। बाबा भीलटदेव को भकत नागदेवता के रूप में पूजते हैं। मान्यता है कि संतान विहीन लोग मन्नत में बाबा भीलट देव से संतान प्राप्ति की मांग करें तो उनकी मांग उनकी मन्नत जरूर पूरी होती है।

 

 

 

 

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