आज, 22 नवंबर 2024 को भारत में काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। यह दिन विशेष रूप से भगवान काल भैरव के रौद्र स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित होता है। काल भैरव जयंती को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है, क्योंकि यह मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव के आशीर्वाद के लिए खास माना जाता है।
काल भैरव जयंती का महत्व
भगवान काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं। वे न्यायप्रिय, रक्षक और पापों के नाशक हैं। उनका वाहन कुत्ता है और वे हमेशा सत्य और न्याय की स्थापना के लिए कार्य करते हैं। काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने से न सिर्फ पापों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि भी मिलती है। माना जाता है कि काल भैरव की पूजा से सभी प्रकार की दरिद्रता दूर होती है और कष्टों का निवारण होता है।
काल भैरव जयंती की पूजा विधि
- काल भैरव जयंती के दिन विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। पूजा विधि कुछ इस प्रकार होती है
- स्नान और स्वच्छता – पूजा से पहले, विशेष रूप से इस दिन स्नान और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। स्नान के बाद शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर पूजा करें।
- पंछी की पूजा – चूंकि काल भैरव का वाहन कुत्ता है, इसलिए इस दिन कुत्तों की पूजा और उन्हें भोजन देना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- भगवान काल भैरव का व्रत – इस दिन श्रद्धालु अपने मन, वचन और क्रिया से सत्य और न्याय के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए व्रत करते हैं।
- मंत्रों का जाप – काल भैरव के पूजन में उनके मंत्रों का जाप विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। "ॐ कालभैरवाय नमः" मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- शिवलिंग पूजा – भगवान शिव के रौद्र रूप में काल भैरव की पूजा करने के लिए शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।
काल भैरव जयंती के अवसर पर विशेष उपाय
- काल भैरव जयंती की पूजा विशेष रूप से रात्रि में की जाती है। इसलिए इस दिन रात्रि पूजा का आयोजन करके काल भैरव के प्रति आस्था प्रकट करें।
- कुत्तों को भोजन और पानी देना शुभ माना जाता है। यह कार्य करते समय मन में शुभ भावनाओं का ध्यान रखें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
काल भैरव जयंती का सांस्कृतिक महत्व
काल भैरव जयंती न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत का भी अहम हिस्सा है। यह दिन भगवान काल भैरव की उपासना के साथ-साथ भारतीय परंपराओं और आस्थाओं को पुनः जागृत करने का अवसर प्रदान करता है।