भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं, जिनकी पूजा सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों से पूर्व अनिवार्य मानी जाती है। ऐसा विश्वास है कि उनकी कृपा से जीवन के हर कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और सफलता की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं।
Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है और इसे समस्त भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन अपने घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर उन्हें भावपूर्वक अर्पित करते हैं।
भगवान गणेश को सभी शुभ कार्यों की शुरुआत में पूज्य देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गणपति जी बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं। उनके आशीर्वाद से व्यापार, करियर और व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी को भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर में रहने वाले हिंदू समुदाय बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।
गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त
इस साल गणेश चतुर्थी आज, 27 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से हो गया हैं और यह तिथि आज दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। हालांकि, उदया तिथि के अनुसार यह पर्व 27 अगस्त को मनाना श्रेष्ठ माना गया है। विशेष बात यह है कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है। हिन्दू मान्यता के अनुसार बुधवार भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025 को होगी, जिस दिन गणपति विसर्जन के साथ इस पर्व का समापन होगा।
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन पूजा करने का शुभ समय सुबह 11:05 बजे से शुरू होकर दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा। इस समय में गणेश जी की स्थापना और पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी पूजन की सामग्री
गणेश जी की स्थापना और पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। यह सामग्री न केवल पूजा को पूर्ण बनाती है, बल्कि भक्तों के लिए भगवान की कृपा प्राप्ति का माध्यम भी होती है। आवश्यक सामग्री:
- मौसमी फल: आम, केला, सेब आदि
- धूप और दीप: पूजा स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए
- गंगाजल और कपूर: शुद्धि और शुभता के लिए
- जनेऊ: पारंपरिक पूजा का हिस्सा
- सिंदूर और लाल चंदन: भगवान गणेश पर अर्पित करने के लिए
- गणेश मूर्ति: पूजा का मुख्य केंद्र
- कलश: शुभ संकेत और समृद्धि के प्रतीक
- मोदक: भगवान गणेश का प्रिय भोजन
- केला और केले के पौधे: विशेष रूप से पूजा में इस्तेमाल होता है
- आरती की किताब: मंत्रों और भजनों के लिए
- फूल और अक्षत (चावल): पूजा में सौभाग्य के लिए
- पान का पत्ता और सुपारी: पारंपरिक अर्पण सामग्री
- पीला और लाल कपड़ा तथा नए वस्त्र: मूर्ति की सजावट और भगवान को अर्पित करने के लिए
- दूर्वा और नारियल: धार्मिक महत्व के लिए
- पंचमेवा और मिठाई: प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा अर्पित
हाल के वर्षों में, गणेश चतुर्थी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रह गई है। अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य देशों में रहने वाले भारतीय और हिन्दू समुदाय भी बड़े उत्साह के साथ इस पर्व को मनाते हैं। यहां भी पंडाल स्थापित किए जाते हैं और भक्तजन दस दिनों तक गणेश पूजन, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व बच्चों और वयस्कों को भारतीय परंपराओं से जोड़ता है और उन्हें भक्ति, श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता का महत्व सिखाता है।