शनिवार को शनिदेव की पूजा और आरती, जानें कैसे पाएं शांति, समृद्धि और जीवन के कष्टों से मुक्ति

शनिवार को शनिदेव की पूजा और आरती, जानें कैसे पाएं शांति, समृद्धि और जीवन के कष्टों से मुक्ति
Last Updated: 4 घंटा पहले

शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा और अर्चना विशेष महत्व रखती है, क्योंकि शनिवार को शनि देव का दिन माना जाता है। शनि देव न्याय के देवता हैं, और उनके दर्शन से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

साथ ही, शनि देव की पूजा से जीवन के कष्ट और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। शनिवार को शनि की पूजा, अर्चना और व्रत करने से शनि ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण होता है और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

शनि देव की पूजा का तरीका

शनि देव की मूर्ति या चित्र का पूजन: सबसे पहले शनिदेव की मूर्ति या चित्र को शुद्ध करें।

दीपक लगाएं: पूजा स्थल पर दीपक लगाएं और उसमें तेल डालें।

सिद्ध तिल और तेल: शनि देव को तिल और तेल अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शनि के मंत्रों का जाप: शनि के मंत्रों का जाप करना आवश्यक होता है, जैसे;

  • शं शनिश्चराय नम
  • शनैश्चराय नम
  • प्रां प्रीं प्रौं : शनैश्चराय नम

काले तिल और काले कपड़े का महत्व: शनि देव को काले तिल और काले कपड़े अर्पित करना शुभ होता है।

शनि देव की अर्चना

शनि देव की अर्चना करते समय एक विशेष शनि मंत्र का जाप किया जाता है।

शनि अर्चना का मंत्र

' शं शनैश्चराय नम'

इसके साथ शनि देव की पूजा में आंवला, काले तिल, सिरका, ताम्बे का पानी, और साथ ही हल्दी का उपयोग किया जाता है।

शनि पूजा की खास बातें

व्रत: शनिवार के दिन उपवासी रहकर शनि पूजा का व्रत रखना उत्तम होता है।

काला लहसुन और सरसों का तेल: शनि की पूजा में काले लहसुन और सरसों का तेल अर्पित करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

काले कपड़े पहनें: शनिवार को काले कपड़े पहनने का महत्व है क्योंकि यह शनि देव की पूजा के साथ सामंजस्य बैठाता है।

शनिदेव की पूजा का लाभ

शनि की पूजा से शनि दोष दूर होते हैं।

जीवन में रही परेशानियाँ दूर होती हैं।

शनि की कृपा से सुख-समृद्धि का वास होता है।

व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता मिलती है।

कार्यों में रुकावटें दूर होती हैं, और जीवन में संतुलन बना रहता है।

श्री शनिदेव की आरती

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा।

अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,

करें तुम्हारी सेवा।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा॥

घोर कष्ट वह पावे,

धन वैभव और मान-कीर्ति,

सब पलभर में मिट जावे।

राजा नल को लगी शनि दशा,

राजपाट हर लेवा।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा॥

जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,

सकल सिद्धि वह पावे।

तुम्हारी कृपा रहे तो,

उसको जग में कौन सतावे।

ताँबा, तेल और तिल से जो,

करें भक्तजन सेवा।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा॥

हर शनिवार तुम्हारी,

जय-जय कार जगत में होवे।

कलियुग में शनिदेव महात्तम,

दु: दरिद्रता धोवे।

करू आरती भक्ति भाव से,

भेंट चढ़ाऊं मेवा।

जय शनि देवा, जय शनि देवा,

जय जय जय शनि देवा॥

श्री शनिदेव आरती (भाग 2)

चार भुजा तहि छाजै,

गदा हस्त प्यारी।

जय शनिदेव जी॥

रवि नन्दन गज वन्दन,

यम अग्रज देवा।

कष्ट सो नर पाते,

करते तब सेवा॥

जय शनिदेव जी॥

तेज अपार तुम्हारा,

स्वामी सहा नहीं जावे।

तुम से विमुख जगत में,

सुख नहीं पावे॥

जय शनिदेव जी॥

नमो नमः रविनन्दन,

सब ग्रह सिरताजा।

बन्शीधर यश गावे,

रखियो प्रभु लाजा॥

जय शनिदेव जी॥

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