Shani Pradosh Vrat 2024: सावन महीने का शनि प्रदोष व्रत आज, भगवन शिव और शनिदेव की करें पूजा, देखें मुहूर्त और महत्त्व

Shani Pradosh Vrat 2024: सावन महीने का शनि प्रदोष व्रत आज, भगवन शिव और शनिदेव की करें पूजा, देखें मुहूर्त और महत्त्व
Last Updated: 17 अगस्त 2024

प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों तिथियों पर आयोजित किया जाता है। इस वर्ष (2024) प्रदोष व्रत 17 अगस्त को, अर्थात आज, मनाया जा रहा है। प्रदोष व्रत आज शनिवार को पड़ रहा है, इस लिए इसे 'शनि प्रदोष व्रत' कहा गया है।

Shani Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का महत्तव बहुत अधिक है और इसे भगवान शिव की पूजा और विशेष आराधना के लिए सबसे शुभ और फलदायी दिन माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि  मनाए जाने वाला यह प्रदोष कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में किया जाता है।

इस वर्ष यानि 2024 में प्रदोष व्रत 17 अगस्त को, यानी आज, मनाया जा रहा है। यह प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे 'शनि प्रदोष व्रत' के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन शिव जी के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा करने से भक्त सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

शनि प्रदोष व्रत मनाने का शुभ मुहूर्त

यह व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज, 17 अगस्त को सुबह 8 बजकर 05 मिनट पर आरंभ हो चुका है। यह तिथि 18 अगस्त यानी कल सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। शनि प्रदोष व्रत का पूजन शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 9:09 बजे तक किया जाएगा। उदयातिथि के अनुसार, सावन का अंतिम प्रदोष व्रत आज, 17 अगस्त को मनाया जा रहा है।

व्रत पर शनिदेव और भगवान शिव की पूजा विधि

इस व्रत को करने वाली महिलाएं इस दिन की पूजा विधि को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें -

-प्रात:काल उठें और स्नान करें: सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। यह दिन की शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

-पूजा स्थल की शुद्धि: गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध करें ताकि वहां की ऊर्जा सकारात्मक और शुभ हो सके।

-शिव पूजा: बेलपत्र, अक्षत (चिउड़े), दीप, धूप और गंगाजल का उपयोग करके भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग को जल अर्पित करें और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

-शनि की आराधना: सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। यह शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। एक दीपक शनिदेव के मंदिर में भी जलाएं।

-व्रत का उद्यापन: त्रयोदशी तिथि पर व्रत का उद्यापन करें, जिसमें पूजा की समाप्ति और धन्यवाद देने का विशेष आयोजन किया जाता है।

इस व्रत को करने से लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को किए जाने वाले व्रत को विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है।

मानसिक परेशानी और चंद्र दोष: त्रयोदशी व्रत करने से मानसिक तनाव और चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करने में सहायक होता है।

पदोन्नति और दीर्घायु: इस व्रत को करने से नौकरी में पदोन्नति और आर्थिक उन्नति के अवसर मिल सकते हैं। इसके अलावा, यह व्रत दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ में भी सहायक माना जाता है।

शनि की कृपा: शनि प्रदोष व्रत विशेष रूप से शनिदेव की पूजा के लिए होता है, जिससे शनि की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत शनि दोषों को दूर करने में मदद करता है और जीवन की कठिनाइयों को कम करता है।

भगवान शिव की कृपा: भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनकी इच्छाओं की पूर्ति होती है। भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी सभी समस्याओं का समाधान करते हैं।

शनि प्रदोष व्रत का जानें महत्त्व

पुराणों से मिली जानकारी के अनुसार, इस व्रत को करने से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जबकि प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, वहीं शनि प्रदोष व्रत करने वालों को भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी विशेष कृपा मिलती है। इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा अर्चना करना आवश्यक है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले जातकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

 

Leave a comment