सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची।
कंठी झलके माल मुकताफळांची।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति।
जय देव जय देव..
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति।
जय देव जय देव..
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति।
जय देव जय देव..
यह आरती भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है। इसे भावपूर्वक गाने से मन को शांति और सुख मिलता है।