''आज है संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार, गणेश भक्तों के लिए खास माना जाता है ये दिन'' जानें इस दिन का महत्व

''आज है संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार, गणेश भक्तों के लिए खास माना जाता है ये दिन'' जानें इस दिन का महत्व
Last Updated: 30 सितंबर 2024

संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश की पूजा का महत्वपूर्ण अवसर

संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जिससे सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से इस दिन व्रति रखकर उपवास करना और शाम को चंद्रमा को देखकर पूजा करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी, जो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, भगवान गणेश की पूजा का विशेष अवसर है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व निम्नलिखित है:

संकट मोचन: इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं का नाश होता है। भक्तों का मानना है कि भगवान गणेश उनकी सभी कठिनाइयों को दूर करते हैं।

उपवास का महत्व: इस दिन उपवास रखने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।

चंद्रमा की पूजा: संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखकर पूजा करने का विशेष महत्व है। इससे भक्तों को शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

समर्पण और श्रद्धा: यह पर्व भक्तों को अपने जीवन में समर्पण और श्रद्धा का महत्व सिखाता है। भगवान गणेश को समर्पित भोग अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है।

सामाजिक एकता: इस दिन परिवार और समाज के लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं, जिससे एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का संचार होता है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने की विधि कुछ इस प्रकार है:

1. स्नान और शुद्धि:

प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें।

स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को भी साफ करें।

2. पूजा स्थल की तैयारी:

पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

पूजा थाल में फूल, धूप, दीप, फल, और मिठाइयाँ रखें।

3. दीप जलाना:

भगवान गणेश के समक्ष दीप जलाएं।

धूप दिखाएं और गणेश को प्रसन्न करने के लिए मंत्र का जाप करें।

4. भोग अर्पित करना:

गणेश जी को मोदक, लड्डू, फल, और अन्य प्रिय भोग अर्पित करें।

भोग अर्पित करने के बाद यह सुनिश्चित करें कि सभी भोग शुद्ध हैं।

5. मंत्रों का जाप:

निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

" गणेशाय नमः"

" वक्रतुंडाय नमः"

इन मंत्रों का जाप श्रद्धा के साथ करें।

6. चंद्रमा की पूजा:

शाम को चंद्रमा को देखकर उसे जल या दूध अर्पित करें।

चंद्रमा को देखने के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाएं।

7. आरती:

अंत में भगवान गणेश की आरती करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर इसका गुणगान करें।

8. प्रसाद वितरण:

पूजा के बाद अर्पित भोग को प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित करें।

इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि को श्रद्धा और भक्ति के साथ करके आप भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का पर्व केवल भगवान गणेश की आराधना का एक अवसर है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि का संचार भी करता है। इस दिन की पूजा विधि को विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से सभी संकटों का निवारण होता है।

भगवान गणेश की कृपा से केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी प्राप्त होती है। इस विशेष दिन पर उपवास, पूजा और भक्ति के माध्यम से हम अपने परिवार और समाज में प्रेम और एकता को बढ़ावा देते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के इस पावन पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएँ! गणपति बप्पा मोरया!

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