Hariyali Teej 2024: हरियाली तीज पर महिलाएं क्यों पहनती है लहरिया? तीज और लहरिया का क्या हैं संबंध? जानिए इस आर्टिकल में
हरियाली तीज का पर्व इस वर्ष 7 अगस्त को मनाया जा रहा है। इसे छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जानते है। सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का पर्व बहुत ही खास और उत्साह से परिपूर्ण होता है। यह दिन माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन के बारे में बताता है। हरियाली तीज पर महिलाएं खासतौर से लहरिया साड़ी, सूट और लहंगा ही पहनती हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क: हरियाली तीज का त्योहार भारतीय संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। बता दें यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है और महिलाओं द्वारा इस दिन बड़े उत्साह के साथ व्रत रखा जाता है। इस अवसर पर महिलाएं नए कपड़े, श्रावण के गीत और झूला झूलती हैं। हरियाली तीज पर हरा रंग, सोलह श्रृंगार और लहरिया पहनना बहुत मायने रखता है। आइए जानते हैं हरियाली तीज पर लहरिया ही क्यों पहना जाता हैं।
हरियाली तीज और लहरिया के बीच संबंध
1. प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक: हरियाली तीज का त्योहार मानसून के आगमन का प्रतीक माना जाता है। क्योकि इस समय प्रकृति में चारों तरफ हरियाली छाह जाती है और लहरिया कपड़ों के रंग और पैटर्न इसी हरियाली और खुशहाली का प्रतीक होते हैं। बतया गया है कि लहरिया के रंग-बिरंगे पैटर्न बारिश की बूंदों और नदी की लहरों को प्रदर्शित करते हैं।
2. संस्कृति और परंपरा: राजस्थान की संस्कृति में लहरिया पहनावे का विशेष महत्व है। यह कपड़ा विशेषकर तीज और राखी जैसे त्योहारों के लिए बनता है और पहना जाता है। लहरिया पहनने के बाद महिलाएं अपनी परंपरा और संस्कृति के से जुड़ी रहती हैं। हरियाली तीज पर लहरिया पहनना संस्कृति का सम्मान और अनुसरण करना सिखाता हैं।
3. खुशहाली और समृद्धि: लहरिया के रंग-बिरंगे डिजाइन देश की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं लहरिया पहनकर इस खुशहाली और समृद्धि को अपने जीवन में डालने की कोशिश करती हैं। यह उनके जीवन में सकारात्मकता और उल्लास का निरंतर संचार करता है। लहरिया पहनने के बाद महिलाएं काफी खुश और उत्साह से भरी रहती हैं।
लहरिया क्यों है इतना खास?
लहरिया राजस्थान का एक बहुत ही पुराना और मशहूर पारंपरिक पोशाक है। कपड़े पर बनने वाली लहरदार डिजाइन्स लहरिया को काफी ज्यादा विशेष बनाती हैं। लहरिया शब्द 'लहर' से लिया गया है, जिसका शब्दिक अर्थ है 'नदी की लहरें'। लहरिया राजस्थान की शिल्प कला का एक शानदार उदाहरण होने के साथ हरियाली तीज के उत्सव में चार चांद लगा देता हैं।
हरियाली तीज पर लहरिया पहनना फैशन ही नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य का सम्मान करना भी है। लहरिया के रंग-बिरंगे पैटर्न हरियाली तीज के उत्सव को खूबसूरत और यादगार बना देते हैं, इसलिए ज्यादातर महिलाएं हरियाली तीज पर लहरिया पहनती है और परंपरा तथा फैशन का संगम करके इस खूबसूरत त्योहार का आनंद उठाती हैं।