मासिक कार्तिगाई दीपम (Karthigai Deepam 2025) एक प्रसिद्ध तमिल पर्व है, जो विशेष रूप से तमिलनाडु में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व दीपों और मोमबत्तियों की रोशनी से जुड़ा होता है और इसे "दीपों का त्योहार" भी कहा जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और मंदिरों को भव्य तरीके से सजाते हैं और दीप जलाते हैं।
धर्म डेस्क: मासिक कार्तिगाई का पर्व बेहद शुभ और कल्याणकारी माना जाता है, और यह तमिल महीने कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है, जिन्हें तमिल संस्कृति में बड़े श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा जाता है। इसके अलावा, इस दिन कृतिका नक्षत्र की भी पूजा होती है, जो भगवान मुरुगन से जुड़ा हुआ हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मासिक कार्तिगाई 6 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है। यह दिन विशेष रूप से साधना, उपवास और पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। लोग इस दिन उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं, दीपक जलाते हैं और विभिन्न पूजा अनुष्ठानों का पालन करते हैं। दीपक जलाने की परंपरा का उद्देश्य अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन करना और जीवन में सकारात्मकता का संचार करना हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक कार्तिगाई के दिन उपवास और पूजा करने से सुरक्षा, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही सभी दुखों का निवारण होता है। इसे एक शक्ति और आशीर्वाद का पर्व माना जाता है, जो जीवन में शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता हैं।
मासिक कार्तिगाई दीपम का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त 6 फरवरी 2025 को दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से लेकर 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए माना जाता है, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, अथवा किसी नए कार्य की शुरुआत। इसके बाद गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 01 मिनट से लेकर 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। यह समय भी संतान प्राप्ति और व्यवसाय की शुरुआत के लिए शुभ होता हैं।
निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से लेकर 01 बजकर 01 मिनट तक रहेगा, जो आमतौर पर अधिक आध्यात्मिक कार्यों और साधना के लिए उपयुक्त होता है। इस समय कोई भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, या मंत्र जाप किए जा सकते हैं।
मासिक कार्तिगाई पूजा अनुष्ठान
मासिक कार्तिगाई एक विशेष धार्मिक पर्व है, जिसमें भक्त अपने घरों और आसपास के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए तेल के दीपक जलाते हैं। दीपक जलाना अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, जो अच्छाई की बुराई पर जीत को दर्शाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और मुरुगन की पूजा की जाती हैं।
* उपवास और फलाहारी भोजन: इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और फलाहारी आहार करते हैं।
* शिव मंदिरों में पूजा: भक्त शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिसमें बेल पत्र, फूल, धूप, दीप, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है।
* भगवान मुरुगन की पूजा: भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए उनका अभिषेक करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और फूल, घर में बनी मिठाइयां, वस्त्र, धन, अक्षत, दीप और धूप अर्पित करें।
* आरती का समापन: पूजा के अंत में आरती गाकर पूजा का समापन करें।
भगवान शिव और मुरुगन स्वामी मंत्र
* 'ॐ नमः शिवाय''।।
* ''ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''।।
* ''ॐ कर्तिकेयाय विद्महे षष्ठीनाथाय: धीमहि तन्नो कार्तिकेय प्रचोदयात्''।।
* ''ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कन्दा वल्लीईकल्याणा
सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते''।।