महर्षि वाल्मीकि को मुख्य रूप से रामायण महाकाव्य के रचनाकार के रूप में पहचाना जाता है। यह महाकाव्य संस्कृत भाषा में लिखा गया है और यह हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है। आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाएगी।
Valmiki Jayanti: वाल्मीकि जी को उनकी विद्या और तप से महर्षि का सम्मान प्राप्त हुआ था। उन्होंने हिंदू धर्म के प्रमुख महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना की। इसके अतिरिक्त, उन्हें संस्कृत का आदि कवि भी माना जाता है, अर्थात संस्कृत भाषा के पहले कवि के रूप में उनकी पहचान है। इस अवसर पर, वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में, हम आपको उनसे जुड़ी कुछ प्रसिद्ध कथाएं साझा करने जा रहे हैं।
कब मनाई जाती हैं जयंती
आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन 17 अक्टूबर को दोपहर 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसलिए, वाल्मीकि जयंती गुरुवार, 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
वाल्मीकि नाम कैसे पड़ा
पौराणिक कथा के अनुसार, पहले वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। वह एक डाकू थे जो वन में आने वाले लोगों को लूटकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। एक बार, उन्होंने नारद मुनि को लूटने का प्रयास किया। लेकिन नारद जी द्वारा दी गई शिक्षा से उनके मन में परिवर्तन आया और उन्होंने अपने पिता से क्षमा मांगने के लिए कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया। वह तपस्या में इस कदर लीन हो गए कि उनके शरीर पर चींटियों ने बाड़ी बना ली, इसी कारण से उनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
रामायण की रचना की कथा
रामायण महाकाव्य की रचना से जुड़ी एक दिलचस्प कथा है। इस कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी के निर्देशन पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। एक दिन, जब एक शिकारी ने क्रौंच पक्षी का वध किया, तो वाल्मीकि जी ने उसे श्राप दिया। इसी दौरान, उनके मुंह से अचानक एक श्लोक की रचना हुई। तब ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले, "यह वाणी मेरी प्रेरणा से आपके मुंह से निकली है। अतः आप इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्रीराम के संपूर्ण चरित्र की रचना करें।" इस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य को लिखा।