भारतीय नौसेना से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें हम आज आपको यहाँ बताने जा रहे हैं। क्या आपको पता है कि NAVY का फुलफॉर्म क्या है?
देश की समुद्री सुरक्षा की पहरेदार भारतीय नौसेना, जिसे विश्व स्तर पर इंडियन नेवी के नाम से जाना जाता है, भारत की एक प्रमुख सैन्य शाखा है। यह देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करने और समुद्री क्षेत्र में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नौसेना का मुख्य उद्देश्य देश की समुद्री संपदा, व्यापारिक मार्गों और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह विभिन्न प्रकार के खतरों, जैसे समुद्री डकैती, आतंकवाद और अन्य बाहरी खतरों से मुकाबला करती है, देश की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करती है। आधुनिक तकनीक और कुशल जवानों से युक्त भारतीय नौसेना, भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक है और देश की सुरक्षा के लिए अविरत रूप से कार्यरत है।
देश की सुरक्षा की पहरेदार और विश्व मंच पर भारत का गौरव भारतीय नौसेना केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करने वाली संस्था नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा का एक अटूट स्तंभ है। यह देश के हितों की रक्षा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी प्रभावी ढंग से करती है। मानवीय सहायता, आपदा राहत, और विभिन्न देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यासों में इसकी सक्रिय भागीदारी इसकी व्यापक भूमिका को दर्शाती है। आइए, भारतीय नौसेना की गौरवशाली विरासत, इसके कार्यों और देश के प्रति इसके अटूट समर्पण को और गहराई से समझें।
ये है फुल फॉर्म
इंडियन नेवी का फुल फॉर्म "Nautical Army of Volunteer Yeomen" होता है। यह नाम इस बात को दर्शाता है कि भारतीय नौसेना एक स्वैच्छिक बल है, जो समुद्री गतिविधियों में विशेषज्ञता रखता है। इस प्रकार, इंडियन नेवी का फुल फॉर्म न केवल इसके संगठनात्मक ढांचे को स्पष्ट करता है, बल्कि इसकी कार्यप्रणाली और उद्देश्यों को भी सामने लाता है।
इतना पुराना है भारतीय नौसेना का इतिहास
भारतीय नौसेना का इतिहास 1612 ई. से शुरू होता है, जब इसे ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में "इंडियन मेरीन" के नाम से स्थापित किया गया था। यह नाम 1685 में बदलकर "बंबई मेरीन" रखा गया, जो 1830 तक चला। भारतीय नौसेना को एक संगठित और अनुशासित बल के रूप में मान्यता तब मिली जब भारतीय विधानपरिषद ने 8 सितंबर 1934 को भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया, जिसके परिणामस्वरूप रॉयल इंडियन नेवी का गठन हुआ।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, भारतीय नौसेना का विस्तार हुआ। इस समय इसके सदस्यों की संख्या 2,000 से बढ़कर लगभग 30,000 हो गई और बेड़े में आधुनिक जहाजों की संख्या भी बढ़ी। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की नौसेना केवल नाममात्र की थी, क्योंकि विभाजन के कारण लगभग एक तिहाई सेना पाकिस्तान को चली गई थी।
तब बनी थी विस्तार की योजना
भारत सरकार ने तत्कालीन स्थिति को देखते हुए नौसेना के विस्तार की योजना बनाई और पहले ही वर्ष में ग्रेट ब्रिटेन से एक क्रूजर "दिल्ली" खरीदी। इसके बाद कई अन्य युद्धपोतों जैसे ध्वंसक "राजपूत", "राणा", "रणजीत" और अन्य जहाजों का अधिग्रहण किया गया।
1964 तक भारतीय बेड़े में वायुयानवाहक "विक्रांत", क्रूजर "दिल्ली" और "मैसूर", दो ध्वंसक स्क्वाड्रन तथा अनेक फ्रिगेट स्क्वाड्रन शामिल थे। वर्तमान में, भारतीय नौसेना एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शक्ति मानी जाती है और इसे ब्लू-वाटर नवी बनाने की दिशा में कार्यरत है।