ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक नई उम्मीद: अब 24 घंटे तक आसानी से उपलब्ध होगा क्लॉट बस्टर इंजेक्शन

ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक नई उम्मीद: अब 24 घंटे तक आसानी से उपलब्ध होगा क्लॉट बस्टर इंजेक्शन
Last Updated: 2 दिन पहले

दिल्ली के एम्स में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार है। अब स्ट्रोक के होने के 24 घंटे के भीतर क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दिया जा सकेगा। इससे मरीजों की जान बचाने और दिव्यांगता से बचने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। पहले यह इंजेक्शन केवल साढ़े चार घंटे के भीतर ही दिया जा सकता था। एम्स में इस पर ट्रायल जारी है।

ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए अस्पताल पहुंचने का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि मरीज साढ़े चार घंटे के भीतर उपचार हेतु अस्पताल नहीं पहुंच पाते, तो उनका इलाज करना बेहद कठिन हो जाता है। इसलिए, स्ट्रोक के मरीजों के लिए जल्दी अस्पताल पहुंचना और समय पर चिकित्सा प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक होता है। अस्पताल में देरी करने से मरीज की सेहत और जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस संदर्भ में, एम्स में स्ट्रोक के मरीजों के मस्तिष्क की नसों में होने वाले ब्लॉकेज को समाप्त करने के लिए 24 घंटे के भीतर क्लॉट बस्टर इंजेक्शन देने का परीक्षण शुरू किया गया है। शुरुआती परिणाम डॉक्टरों द्वारा सकारात्मक बताए जा रहे हैं। यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो स्ट्रोक के 24 घंटे के भीतर यह दवा मरीजों को दी जा सकेगी, जो उनकी जीवन रक्षा और दिव्यांगता से बचाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

हर साल लगभग 17 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं

चिकित्सकों का कहना है कि भारत में हर वर्ष करीब 17 लाख व्यक्ति इस गंभीर समस्या से पीड़ित होते हैं। इनमें से लगभग 65 से 70 प्रतिशत मरीजों को मस्तिष्क की नसों में खून के थक्के बनने और बाधा के कारण इस्केमिक स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में मस्तिष्क की नसों में ब्लॉकेज होने से रक्त संचार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।इस कारण मस्तिष्क का एक हिस्सा प्रभावित होता है। वर्तमान में, इसके उपचार के लिए मरीज को साढ़े घंटे के भीतर मस्तिष्क की नसों से ब्लॉकेज हटाने के लिए क्लॉट बस्टर इंजेक्शन दिया जाता है। सीटी स्कैन की जांच करने के बाद, डॉक्टर मरीज की स्थिति के आधार पर यह इंजेक्शन देते हैं।

इलाज के मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार, स्ट्रोक आने के साढ़े चार घंटे बाद इस इंजेक्शन को देने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, अधिकांश मरीज इस समय सीमा के भीतर ऐसे अस्पतालों में पहुंच नहीं पाते जहां यह दवा उपलब्ध होती है। इससे, बहुत ही कम मरीजों को इस उपचार का लाभ मिल पाता है।

अब तक लगभग 50 मरीजों पर परीक्षण किया जा चुका है

जब मरीज साढ़े चार घंटे से लेकर 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचते हैं, तो नसों से रक्त थक्का हटाने के लिए स्टेंट रिट्रीवर डालने का विकल्प मौजूद है। लेकिन यह सुविधा केवल कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है, जिससे मरीजों की कठिनाई बढ़ जाती है। एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अवध किशोर पंडित ने बताया कि क्लाट बस्टर दवा देने की अवधि को 24 घंटे करने के लिए एक परीक्षण शुरू किया गया है। यह परीक्षण पिछले दो वर्षों से चल रहा है, और इसमें लगभग सौ मरीजों पर परीक्षण किए जाने की योजना है। अब तक करीब 50 मरीजों पर यह परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है।

इस परीक्षण में यह अध्ययन किया जा रहा है कि यदि कोई मरीज स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे बाद या 24 घंटे पहले अस्पताल पहुंचता है, तो उन्हें क्लॉट बस्टर दवा (Clot buster injection) देने से कितना लाभ होता है। अब तक प्राप्त संकेत सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं। इस विषय पर अभी तक कोई विशेष परीक्षण नहीं किया गया है, लेकिन एक परीक्षण विदेश में आयोजित किया गया है। इस परीक्षण के पूरा होने पर, जिसमें कुल सौ मरीज शामिल होंगे, परिणाम जारी किए जाएंगे।

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