क्या आपने कभी सोचा है कि उंगलियां चटकाने पर "टक-टक" की आवाज क्यों आती है? कुछ लोगों को यह आदत होती है कि वे तनाव में हों या खाली समय में बैठें हों, तो अनायास ही उंगलियां चटकाने लगते हैं। हालांकि, धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से इस आदत को सही नहीं माना गया है। आइए जानते हैं, आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उंगलियां चटकाना अशुभ क्यों?
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उंगलियां चटकाने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं, जिससे घर में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रभावित होती है, जिससे अशुभ फल मिलता है। इसीलिए बड़े-बुजुर्ग उंगलियां चटकाने से मना करते हैं और इसे अनुचित मानते हैं।
वैज्ञानिक कारण: आखिर उंगलियां चटकाने पर आवाज क्यों आती है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, उंगलियों के जोड़ों (Knuckles) के बीच सायनोवियल फ्लूइड (Synovial Fluid) नामक एक तरल पदार्थ मौजूद होता है, जो हड्डियों को चिकनाई प्रदान करता है। जब आप उंगलियां चटकाते हैं, तो यह फ्लूइड गैस छोड़ता है, जिससे छोटे-छोटे बुलबुले बनते हैं। यही बुलबुले फूटते हैं, जिससे "टक-टक" की आवाज आती है।
क्या उंगलियां चटकाने से जोड़ों में दर्द या आर्थराइटिस होता है?
यह एक आम धारणा है कि बार-बार उंगलियां चटकाने से गठिया (Arthritis) हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। एक दिलचस्प रिसर्च में वैज्ञानिक डोनाल्ड एल अन्गर (Donald L. Unger) ने 60 वर्षों तक केवल अपने एक हाथ की उंगलियां चटकाईं, जबकि दूसरे हाथ को सामान्य रखा।
60 साल बाद, उनके दोनों हाथों में कोई अंतर नहीं देखा गया, और उन्हें गठिया जैसी कोई समस्या नहीं हुई। इस शोध ने यह साबित किया कि उंगलियां चटकाने और आर्थराइटिस के बीच सीधा संबंध नहीं है।
तो क्या उंगलियां चटकाना सही है?
अगर उंगलियां चटकाने से कोई दर्द या असहजता महसूस नहीं होती, तो यह कोई गंभीर समस्या नहीं है। हालांकि, अत्यधिक उंगलियां चटकाने से जोड़ों में मौजूद सायनोवियल फ्लूइड की मात्रा धीरे-धीरे कम हो सकती है, जिससे हड्डियों में घर्षण बढ़ सकता है।