England News : विदेशी छात्रों पर रोक लगा देना चाहती है ब्रिटिश सरकार:21 हजार वैध भारतीय प्रवासियों को नौकरी नहीं,

England News : विदेशी छात्रों पर रोक लगा देना चाहती है ब्रिटिश सरकार:21 हजार वैध भारतीय प्रवासियों को नौकरी नहीं,
Last Updated: 26 मई 2023

ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सरकार अवैध प्रवासियों पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी नीति लागू कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है, कि भारतवंशी ब्रिटिश PM ऋषि सुनक की नीति भारतीयों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। लेकिन, इसका असर पहले से वहां रह रहे वैध भारतीय प्रवासियों पर पड़ रहा है। पिछले चार साल के दौरान ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने लगभग साढ़े चार लाख व्यक्तिगत आवेदनों में से लगभग 63 हजार प्रवासियों को विभिन्न सरकारी विभागों को नौकरियां नहीं देने के आदेश दिए। इनमें 21 हजार भारतीय हैं।

न्यूज़ एजेंसी ANI और दैनिक भास्कर के मुताबिक अलग-अलग सरकारी विभागों और प्रभावित भारतीयों प्रवासियों से विस्तृत पड़ताल में सामने आया कि रंगभेद और नस्लीय पहचान के कारण भारतीयों को अवैध प्रवासी मान लिया जाता है। उनके दस्तावेज खारिज हो जाते हैं। जिससे उन्हें नौकरी नहीं  मिल पाती है।

 

हेल्थकेयर सुविधाएं लेने में भी मुश्किलें
वैध भारतीयों को बैंक खाते खोलने, हेल्थकेयर सुविधाएं लेने से लेकर यात्रा करने तक में मुश्किलें हो रही हैं। दूसरी ओर, भारतवंशी गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने सुनक की नीतियों का समर्थन करते हुए हाल ही में बयान दिया है कि वे अवैध प्रवासियों को रवांडा (अफ्रीकी देश) भेजना चाहती हैं। सरकार के इस रवैये से उत्साहित श्वेत नस्लवादी संगठन प्रवासियों और शरणार्थियों पर लगातार हमलावर हो रहे हैं।

 

ब्रिटिश सरकार ने माना-भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव हो रहा
ब्रिटेन में नीतियों का आंकलन करने वाली सरकार की ही एक रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि दक्षिण एशियाई लोगों विशेषकर भारत से आने वाले प्रवासियों के साथ भेदभाव हो रहा है। एक सरकारी अफसर ने मीडिया से बातचीत में माना कि अवैध रूप से ब्रिटेन में रहने वाले लोगों को चिह्नित करने में कड़ी नीतियां ज्यादा असरदार नहीं रही हैं। प्रवासी मामलों से जुड़ी ज्यादातर सरकारी एजेंसियां रंग के आधार पर ही फैसले कर लेती हैं।

 

दोहरा रवैया: शरण देने के लिए भारतीयों को ना, यूक्रेनियों को हां
मानवाधिकार कार्यकर्ता सूजन हेर का आरोप है कि वैध रूप से शरण मांगने वालों के हक खत्म कर दिए गए हैं। जबकि, यूक्रेन से आने वाले पौने तीन लाख लोगों को शरण दी जा चुकी है।

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