अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना स्टारर मच अवेटेड फिल्म 'पुष्पा 2' आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। अगर आप भी इस फिल्म का हिस्सा बनने वाले हैं, तो यहां पढ़ें हमारी समीक्षा और जानें फिल्म के बारे में सब कुछ। क्या इसने दर्शकों को एंटरटेन किया या फिर उम्मीदों के खिलाफ साबित हुई? पढ़िए रिव्यू और समझिए क्या ये फिल्म देखने लायक है।
Pushpa 2 Review
'पुष्पा 2' में वो सारी चीजें मौजूद हैं, जो एक एंटरटेनर में दर्शकों की तलाश होती है। फिल्म के एक डायलॉग से ही इसकी पूरी ताकत झलकती है, जिसमें कहा गया है, "पहली एंट्री पर इतना बवाल नहीं करता जितना दूसरी एंट्री पर करता है"। इस बात से साफ है कि पुष्पा अब पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली हो गया है। अल्लू अर्जुन की शानदार परफॉर्मेंस से यह साबित हो जाता है कि पुष्पा अब सिर्फ 'फ्लावर' नहीं, बल्कि एक जंगली 'वाइल्ड फायर' बन चुका है, जो दर्शकों के दिलों में आग लगा रहा है।
फिल्म में एंटरटेनमेंट की कोई कमी नहीं है - एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और बस एंटरटेनमेंट। पुष्पा की 'वाइल्ड फायर' में डूबकर आपको बस एंटरटेन होना है। लॉजिक की कोई जगह नहीं है, सिर्फ दिमाग को छोड़कर फिल्म का पूरा आनंद लें। तीन घंटे बीस मिनट की यह फिल्म बिना किसी तार्किकता के आपको पूरी तरह से जोड़े रखती है। यही कारण है कि ऐसे सिनेमाई अनुभव को दर्शकों के लिए जरूरी बनाता है।
सिनेमा अगर बिना लॉजिक के आपको तीन घंटे से ज्यादा सटीक एंटरटेनमेंट दे पाए तो यह साबित करता है कि वह एक शानदार सिनेमा है। पुष्पा 2 वही सिनेमा है जो सिनेमा की असली ताकत को दिखाता है, और इसे जरूरी बनाता है ताकि फिल्में जीवित रहें, बढ़ती रहें और दर्शकों का दिल जीतती रहें।
क्या है पुष्पा 2 की कहानी
पुष्पा अब सिर्फ एक स्मगलर नहीं, बल्कि लाल चंदन के साम्राज्य का सम्राट बन चुका है। फिल्म में उसकी कहानी एक नई दिशा में मोड़ लेती है, जहां वह न केवल अपने दुश्मनों से जूझ रहा है, बल्कि अपनी बीवी की सलाह भी मानता है। जैसे ही उसकी बीवी कहती है कि सीएम से मिलने के बाद फोटो खिंचवानी चाहिए, पुष्पा वही करता है। लेकिन जब सीएम अपने साथ एक स्मगलर का फोटो खिंचवाने से इनकार कर देता है, तो पुष्पा सीएम को बदलने की योजना बना डालता है।
अब उसकी नजर 5000 करोड़ रुपये के लाल चंदन के विदेश स्मगल पर है। इस खतरनाक मिशन में उसे और भी कई समस्याओं का सामना करना होगा, और पुलिसवाला भंवर सिंह शेखावत किस तरह उसकी राह में रुकावट बनेगा, यह देखना होगा।
‘पुष्पा 2’ में रोमांच की कोई कमी नहीं, और दर्शकों को एक बार फिर पुष्पा की वाइल्ड फायर और उसकी अनमोल यात्रा का अनुभव मिलेगा।
कैसी है फिल्म
'पुष्पा 2' एक बेहतरीन मास एंटरटेनर साबित होती है, जहां हर एक फ्रेम में जबरदस्त एंटरटेनमेंट का तड़का देखने को मिलता है। फिल्म का हर सीन इतना शानदार है कि दर्शक सीटी बजाने और ताली पीटने पर मजबूर हो जाते हैं। इस फिल्म में लॉजिक का कोई स्थान नहीं, क्योंकि जो पुष्पा करता है, उसपर विश्वास करना मजबूरी बन जाती है। एक के बाद एक दमदार सीन आते हैं, जो दर्शकों को फिल्म की लंबाई भूलने पर मजबूर कर देते हैं।
पुष्पा का स्वैग जितना कूल और पावरफुल है, उतना ही उसकी हरकतें भी दिलचस्प हैं। फिल्म में जब वह "सॉरी" बोलता है, तो लगता है कि कुछ खास होने वाला है, लेकिन उसकी एक भी हरकत उसे झुकने नहीं देती। और फिर जो होता है, वह पूरी फिल्म का क्लाइमैक्स बन जाता है।
'पुष्पा 2' एक ऐसा सिनेमा है, जो थिएटर में देखने के अनुभव को खास बना देता है। फिल्म की लंबाई को लेकर कोई शिकायत नहीं होती, बल्कि ऐसा लगता है कि अगर और कुछ होता तो और भी मजा आता। यह सिनेमा दिखाता है कि जब मास और क्लास दोनों मिलकर सिनेमा का रूप लेते हैं, तो वह सचमुच दर्शकों को सिनेमाई अनुभव का बेहतरीन तोहफा देता है।
पुष्पा 2 की एक्टिंग
'पुष्पा 2' में अल्लू अर्जुन ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वह इस इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं। उनका अभिनय न सिर्फ दमदार है, बल्कि इतना जबरदस्त है कि दर्शक हर फ्रेम में उनका ही वर्चस्व महसूस करते हैं। पुष्पा का स्वैग और उसकी मास अपील में एक अलग ही जादू है, जो फिल्म के हर पल में चमकता है। पांच साल की मेहनत के बाद, अल्लू अर्जुन ने न केवल हीरोपंती के मायने बदले हैं, बल्कि इस लकीर को इतना ऊंचा कर दिया है कि अब किसी और को उनका स्वैग मैच करने के लिए एक नई परिभाषा बनानी पड़ेगी।
रश्मिका मंदाना ने भी अपने किरदार में जान डाली है, भले ही अल्लू अर्जुन के सामने उनका रोल छोटा सा हो, लेकिन उनका अभिनय अपनी छाप छोड़ता है। वहीं, फहाद फासिल ने भी अपनी भूमिका में शानदार काम किया है। फिल्म में उनके पुलिसवाले के किरदार ने विलेन के महत्व को नए स्तर पर पहुंचाया है, और उनका अभिनय इस भूमिका में जान डाल देता है।
जगदीश प्रताप भंडारी, जगपत बाबू और सौरभ सचदेवा ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिससे फिल्म की कहानी में और भी मजबूती आई है। 'पुष्पा 2' न केवल एक मसाला फिल्म है, बल्कि एक ऐसा सिनेमा है जो दर्शकों को शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखता है।
डायरेक्शन और राइटिंग
सुकुमार की राइटिंग और डायरेक्शन ने 'पुष्पा 2' को एक अलग ही ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। फिल्म में उनका पूरा फोकस स्वैग और एंटरटेनमेंट पर रहा, और इसमें वह पूरी तरह से सफल हुए हैं। सुकुमार ने जिस दिशा में फिल्म को आगे बढ़ाया, वह एकदम सटीक था और किसी भी मोड़ पर वह भटके नहीं, जो उनकी फिल्म को एक मास्टरपीस बनाता है।
फिल्म में हर सीन एक टर्निंग प्वाइंट बनता है, जिसमें लगातार एक्शन और ट्विस्ट आते हैं। दर्शक जब एक सीन देख कर हैरान हो जाते हैं, तो अगले ही पल दूसरा शानदार मोमेंट उनका इंतजार करता है। सुकुमार ने हर सीन को इस तरह से डिजाइन किया है कि दर्शकों को लगातार एंटरटेनमेंट मिलता रहे, और इसने फिल्म को एक अभूतपूर्व अनुभव बना दिया।
पुष्पा 2 म्यूजिक
पुष्पा 2' की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी म्यूजिक है। जहां तक गानों की बात करें, केवल 'सामी' ही एकमात्र ट्रैक है जो दर्शकों को पसंद आता है, बाकी गाने उतने प्रभावशाली नहीं हैं। फिल्म का संगीत कभी-कभी दर्शकों को थका देता है और गाने उतने आकर्षक नहीं हैं जितने की उम्मीद थी। हालांकि, बैकग्राउंड स्कोर काफी बेहतरीन है, जो फिल्म की ऊर्जा और एक्शन को बढ़ाता है और दर्शकों को पूरी फिल्म में जोड़ कर रखता है।