असम स्थापना दिवस, जिसे असम दिवस या सुकाफा दिवस भी कहा जाता है, हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन असम के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, और विशेष रूप से उस महान अहोम राजा चाओलुंग सुकाफा के असम आगमन की याद दिलाता है, जिन्होंने 13वीं शताब्दी में असम की नींव रखी थी।
असम स्थापना दिवस का इतिहास
असम स्थापना दिवस की शुरुआत इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ी हुई है। चाओलुंग सुकाफा 1228 ईस्वी में दक्षिण-पूर्व एशिया के ताई समुदाय से असम आए थे। सुकाफा ने अहोम साम्राज्य की स्थापना की, जो लगभग 600 वर्षों तक अस्तित्व में रहा। इस साम्राज्य के अंतर्गत असम ने शांति, समृद्धि और एकता का अनुभव किया।
सुकाफा की प्रशासनिक कुशलता और दूरदर्शिता ने असम को एक सशक्त और संगठित राज्य के रूप में विकसित किया। उन्होंने विभिन्न जनजातियों और समुदायों को एकजुट किया, जो उस समय असम के सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक अभूतपूर्व कदम था। उनका शासन सहिष्णुता, सांस्कृतिक समन्वय और समानता पर आधारित था, जिसने असम को विविधता में एकता का प्रतीक बना दिया।
असम स्थापना दिवस का महत्व
असम स्थापना दिवस सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना को मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह असम की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, विविधता और भाईचारे का उत्सव है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि असम न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक अनमोल धरोहर है।
सुकाफा के शासनकाल में स्थापित शांति, विकास और एकता का यह दिवस हर साल याद किया जाता है। साथ ही, यह संदेश भी देता है कि समाज के विभिन्न हिस्सों को एकजुट करके हम एक मजबूत और समृद्ध राज्य बना सकते हैं।
असम स्थापना दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन असम के सांस्कृतिक और सामाजिक समन्वय का प्रतीक है। इस दिन असम के लोग अपनी ऐतिहासिक धरोहर का सम्मान करते हैं और एकजुट होकर अपनी संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।
असम स्थापना दिवस कैसे मनाया जाता है?
• असम स्थापना दिवस की धूम असम राज्यभर में दिखाई देती है। इस दिन की विशेषता यह है कि असम के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, परेड और अन्य समारोहों का आयोजन किया जाता हैं।
• सांस्कृतिक कार्यक्रम असम के विभिन्न स्थानों पर नृत्य, संगीत और पारंपरिक त्योहारों का आयोजन किया जाता है। खासकर बिहू नृत्य और संगीत का प्रदर्शन इस दिन एक विशेष आकर्षण होता हैं।
• स्मृति समारोह इस दिन असम के लोग चाओलुंग सुकाफा की प्रतिमाओं और समाधियों पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिससे उनकी विरासत को सम्मानित किया जाता हैं।
• शैक्षणिक आयोजनों स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में असम के इतिहास और सुकाफा के योगदान पर चर्चा और संगोष्ठियां आयोजित की जाती हैं, ताकि नई पीढ़ी को इस महान नेता के कार्यों और योगदान से अवगत कराया जा सके।
• स्थानीय प्रदर्शनियां असम की कला, संस्कृति और हस्तशिल्प का प्रदर्शन इस दिन के विशेष आकर्षण होते हैं। यहाँ असम की पारंपरिक वस्त्र, ज्वैलरी, और हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी होती हैं।
चाओलुंग सुकाफा की विरासत
• चाओलुंग सुकाफा का योगदान असम की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को बनाने में महत्वपूर्ण था। उन्होंने न केवल एक साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि असम की उस अद्वितीय संस्कृति की नींव रखी, जो आज भी जीवित है। उनका शासन विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच भाईचारे और सहयोग का प्रतीक था।
• सुकाफा का योगदान केवल असम तक सीमित नहीं था, बल्कि उनका प्रभाव पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में देखा जाता था। उनका शासन आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि से भरा हुआ था, और उन्होंने असम को एक सशक्त और संगठित राज्य के रूप में स्थापित किया।
असम स्थापना दिवस का संदेश
• असम स्थापना दिवस का संदेश यह है कि विविधता में एकता असम की पहचान है। इस दिन हमें यह याद रखना चाहिए कि असम की शक्ति उसकी सांस्कृतिक विविधता में है, और इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी हैं।
• असम स्थापना दिवस न केवल असम के इतिहास और संस्कृति को याद करने का अवसर है, बल्कि यह समाज के सामूहिक प्रयासों और सह-अस्तित्व को सम्मानित करने का भी दिन है। यह दिन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपनी विविधता को अपनाकर समाज को और भी समृद्ध और सशक्त बना सकते हैं।
असम स्थापना दिवस की यह धारा हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी संस्कृति और इतिहास को संजोते हुए एकता और भाईचारे की मिसाल प्रस्तुत करें।