पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच के कार्यकाल में विवाद, कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि वह मीटिंग्स में चिल्लाती थीं और पब्लिकली बेइज्जती करती थीं।
SEBI chief Madhavi Puri Buch: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को आदेश दिया कि वह SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर चार मार्च तक कोई कार्रवाई न करे। यह आदेश न्यायमूर्ति एस जी डिगे की एकल पीठ द्वारा दिया गया, जिन्होंने याचिका पर मंगलवार को सुनवाई का निर्णय लिया।
क्या था मामला?
यह मामला SEBI और अडानी ग्रुप के बीच कथित मिलभगत से जुड़ा है। हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म द्वारा 2024 के अंत में जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि माधवी पुरी बुच और उनके पति की अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में हिस्सेदारी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और SEBI के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगाया गया था।
माधवी पुरी बुच और उनके पति का खंडन
माधवी पुरी बुच और उनके पति ने हिंडनबर्ग के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए इसे नकारा। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई जानकारी छुपाई नहीं है और यह आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
अडानी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को आधारहीन बताया और इसे मुनाफा कमाने और बदनाम करने की एक साजिश करार दिया।
ACB के खिलाफ याचिका
बुच, बीएसई के प्रबंध निदेशक सुंदररमन राममूर्ति और अन्य अधिकारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए विशेष अदालत के आदेश को अवैध और मनमाना करार दिया। उन्होंने FIR दर्ज करने के आदेश को रद्द करने की मांग की।
न्यायालय की सुनवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अब तक ACB की विशेष अदालत के आदेश पर कोई भी कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। अगले दिन 5 मार्च को सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि क्या अदालत का आदेश कायम रहेगा या नहीं।