अब सरकारी अस्पतालों में दिखाई नहीं देंगे बाउंसर, दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों से शुरू हुई पहल

अब सरकारी अस्पतालों में दिखाई नहीं देंगे बाउंसर, दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों से शुरू हुई पहल
Last Updated: 07 अप्रैल 2023

स्वास्थ्य महानिदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बाउंसर तैनात करना एक तरह से प्रथा बन गई है। यह इसलिए, क्योंकि जब भी किसी अस्पताल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटना होती है तो सभी मिलकर बाउंसर तैनात करने की मांग करने लगते हैं। इससे घटनाओं में कमी नहीं आती है, बल्कि मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं।

अधिकांश मामले मेडिकल कॉलेज या फिर उनसे जुड़े अस्पतालों में दिखाई देते हैं। अनुमानित तौर पर एक अस्पताल में 10 से 12 बाउंसर तैनात हैं

स्वास्थ्य महानिदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बाउंसर तैनात करना एक तरह से प्रथा बन गई है। यह इसलिए, क्योंकि जब भी किसी अस्पताल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटना होती है तो सभी मिलकर बाउंसर तैनात करने की मांग करने लगते हैं। इससे घटनाओं में कमी नहीं आती है, बल्कि मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं। अनुमानित तौर पर एक अस्पताल में 10 से 12 बाउंसर तैनात हैं। इसलिए केंद्र सरकार के अधीन अस्पतालों से इसकी शुरुआत की गई है।

 

इस तरह हुई थी शुरुआत

बीते वर्ष जब डॉ. मांडविया ने सफदरजंग अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था तब गार्ड-मरीज के बीच विवाद के वह स्वयं गवाह रहे। इसके बाद अस्पतालों में बाउंसर की तैनाती को लेकर चर्चा शुरू हुई थी। 

अधिकांश मामले मेडिकल कॉलेजों से जुड़े

अधिकारियों का कहना है कि मारपीट, झगड़ा और उसके चलते बाउंसर तैनात होने के अधिकांश मामले मेडिकल कॉलेज या फिर उनसे जुड़े अस्पतालों में दिखाई देते हैं। ऐसे बेहद कम जिला अस्पताल हैं, जहां बाउंसर तैनात हैं। डॉक्टरों के साथ मारपीट पूरी तरह से गलत है, लेकिन यह भी सच है कि अस्पताल आने वाला मरीज किसी से मारपीट करने नहीं आता है।

यहां से हटाई गई तैनाती

मंगलवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय ने आदेश जारी करते हुए दिल्ली के दो बड़े अस्पताल लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और सुचेता कृपलानी अस्पताल में बाउंसर तैनाती खत्म करने के लिए कहा है। हालांकि, आदेश में लिखा है कि बाउंसर अस्थायी अवधि के लिए हटाए जा रहे हैं, लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया और सफदरजंग अस्पताल के लिए भी आदेश जारी किया जाएगा। 

इन राज्यों के अस्पतालों  में तैनात हैं बाउंसर

हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल के बड़े शहरों में स्थित कई अस्पतालों में बाउंसर तैनात हैं।  

आठ साल में 100 गुना बढ़े देश  में जन औषधि केंद्र : मांडविया

महंगी दवाओं से छुटकारा दिलाने के लिए देश में बीते आठ साल के दौरान जन औषधि केंद्रों की संख्या में 100 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तब देश में केवल 80 जन औषधि केंद्र संचालित थे। उस दौरान इन केंद्रों पर कुछ ही दवाएं मिल पाती थीं, लेकिन अब इनकी संख्या 8,809 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘सस्ती दवाई, अच्छी दवाई’ के लिए उनकी सरकार लगातार कार्य कर रही है। मौजूदा समय में जन औषधि केंद्रों पर लगभग सभी तरह की जेनेरिक दवाएं कम कीमत पर उपलब्ध हैं। कई तरह के चिकित्सा उपकरण भी इन दुकानों पर हैं।

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