विपक्षी दलों का दावा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया हैं। ओवैसी ने मोदी सरकार पर तंज कसा हैं।
INDIA: केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे हटाने का दावा किया जा रहा है। सबसे पहले यह दावा कांग्रेस ने किया। अब इस मुद्दे पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहां कि अगर कोई भी सिविल सेवक आरएसएस का सदस्य है तो वह देश के प्रति वफादार नहीं हो सकता है। इसकी वजह यह है कि आरएसएस संविधान और तिरंगे के खिलाफ रहा हैं।
ओवैसी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए ओवैसी ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की ओर से जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम साझा किया है। बता दें इसमें सरकारी कर्मचारियों और अन्य अधिकारीयों पर से आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने लेकर लगे प्रतिबंध को पूर्णतः हटाने की बात कही गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ऑफिस मेमोरेंडम साझा करते हुए ओवैसी ने कहां है कि अगर यह सच है तो फिर यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ हैं।
आरएसएस सदस्य को लेकर ओवैसी ने क्या कहां?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहां कि सरकार ने आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। अगर यह सच है तो फिर यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है।" हैदराबाद सांसद ने आगे कहां कि आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए था क्योंकि उसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार किया। हर एक आरएसएस सदस्य हिंदुत्व को देश से ऊपर रखने की शपथ लेता है। कोई भी सिविल सेवक अगर आरएसएस का सदस्य है तो वह देश के प्रति वफादार नहीं हो सकता हैं।
प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच तकरार
कांग्रेस पार्टी ने आरएसएस के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार का घेराव किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ऑफिस मेमोरेंडम के विचार साझा करते हुए कहां कि फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आधार पर प्रतिबंध को हटाया दिया गया। इसके बाद भी आरएसएस ने अभी तक नागपुर में तिरंगा नहीं फहराया हैं।
उन्होंने कहां कि साल 1966 में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में प्रतिबंध लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। चार जून 2024 के बाद स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। नौ जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था।