कैथी लिपि बिहार में भूमि सर्वेक्षण के दौरान उर्दू और कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेजों के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, क्योंकि अधिकांश कर्मचारी और रैयत इन लिपियों के बारे में अनजान हैं। यह स्थिति विवादों का कारण बन रही है। जानकार व्यक्तियों द्वारा अनुवाद के लिए भारी शुल्क लिया जा रहा है। इसके अलावा, पहले दर्ज जमीन के दाखिल खारिज न होने के कारण भी स्थिति और जटिल हो गई है।
पटना: बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे भूमि सर्वे 2024 में उर्दू और कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेजों ने परेशानी और विवादों को जन्म दिया है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि भूमि सर्वे में कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों को उर्दू और कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है और रैयत भी अब इस लिपि को पढ़ने में असमर्थ हैं।
कागज पुराना होने के कारण जमीन के दस्तावेज़ों को पढ़ने में भी लोग असमर्थ हैं। इस परिस्थिति में, जमीन के सर्वे के दौरान उर्दू और कैथी की जानकारी रखने वाले कई लोग मोटा पैसा लेकर अनुवाद कर रहे हैं। यह भविष्य में बड़े विवादों का कारण बन सकता है। वहीं, दूसरी ओर, पहले दर्ज की गई जमीन का विवरण तो लिखवा लिया गया है, लेकिन उसका दाखिल खारिज अभी तक नहीं हुआ है। कागजात भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे लोग रिकॉर्ड रूम में रोजाना चक्कर काट रहे हैं। खासकर भूमि सर्वे के दौरान कैथी लिपि के अनुवाद को लेकर रैयत लोग इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं। इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कैथी लिपि: एक प्राचीन लेखन प्रणाली का परिचय
यह जानना महत्वपूर्ण है कि पुरानी कैथी लिपि में खतियान के कारण इसे पढ़ना काफी कठिन हो गया है। ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि को कैथी या कायथी के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग 600 ईस्वी के आस-पास शुरू होने का अनुमान लगाया गया है। मुस्लिम शासकों के समय में कायस्थ समुदाय के लोग कैथी लिपि में ही भूमि से संबंधित दस्तावेज तैयार करते थे।
इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय उर्दू-फारसी में लिखते थे। इस प्रकार, अंग्रेजी शासनकाल से लेकर आजादी के बाद तक जमीनी दस्तावेज लेखन कैथी लिपि में जारी रहा। कैथी लिपि में अक्षरों के ऊपर कोई शिरोरेखा नहीं होती, और सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं। इसमें हर्स्व ''इ'' और दीर्घ ''ऊ'' की मात्रा का भी प्रयोग नहीं होता।
संयुक्त अक्षरों जैसे ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र आदि का भी इस लिपि में उपयोग नहीं किया जाता। इतना ही नहीं, कैथी में शब्द या वाक्य का निर्माण भी नहीं किया जाता है, जिसके कारण आज इसे पढ़ने में काफी कठिनाई होती है।
कैथी लिपि की अनोखी विशेषताएं
यह लिपि दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती है। कैथी लिपि में विभिन्न प्रकार के चिन्हों का उपयोग किया जाता है। इस लिपि का मुख्य रूप से सरकारी दस्तावेजों, पत्राचार और व्यावसायिक लेखन में प्रयोग किया जाता था। कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेज
कैथी लिपि का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
कैथी लिपि भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। यह लिपि भारत के इतिहास और साहित्य को समझने में सहायता प्रदान करती है। कैथी लिपि का अध्ययन भाषाविज्ञान और इतिहास के छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कैथी लिपि में लिखे कई दस्तावेजों के अक्षर समय के साथ हुए धुंधले
धनंजय कुमार झा नाम के एक ज़मीन के हिस्सेदार ने बताया कि उनके पिता, दादा और परदादा के नाम से बनी ज़मीन के कागजात में सभी रिकॉर्ड कैथी लिपी में लिखे हुए हैं। कुछ दस्तावेज़ों पर तो लिखे गए अक्षर धुंधले हो गए हैं, जिससे अब प्रशिक्षित अमीन को भी उन्हें पढ़ने में कठिनाई होगी।
अनुवादकों की फीस में वृद्धि: दलालों के लिए सुनहरा अवसर
खगड़िया जिले के निवासी 60 वर्षीय धनंजय कुमार झा ने बताया कि जब से सर्वे का कार्य शुरू हुआ है, तब से कई समस्याएं सामने आ रही हैं। उनके दस्तावेज कैथी लिपि में हैं, और उन्हें देवनागरी में अनुवाद करने वाला कोई नहीं मिल रहा है।
पूरे जिले में कैथी लिपि का ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की खोज में भी कोई सफलता नहीं मिल रही है। पहले अनुवाद के लिए प्रति पन्ने 300 से 400 रुपये की मांग की जाती थी, लेकिन जब से सरकार ने भूमि सर्वेक्षण का ऐलान किया है, तब से एक खतियान के अनुवाद के लिए 15 से 20 हजार रुपये की मांग की जा रही है।