प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ईद के मौके पर 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को सहायता देने की घोषणा के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। भाजपा इस योजना को 'सौगात-ए-मोदी' कह रही है, जबकि विपक्षी दल इसे चुनावी हथकंडा बता रहे हैं।
पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद के मौके पर देश के मुसलमानों को विशेष तोहफा देने की घोषणा की है, जिसे 'सौगात-ए-मोदी' नाम दिया गया है। इस योजना के तहत सरकार 32 लाख गरीब मुसलमानों को विभिन्न प्रकार की आर्थिक और सामाजिक मदद प्रदान करेगी। पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस फैसले को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
आरजेडी और माले का पलटवार
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस घोषणा को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट है। आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, "चुनाव से ठीक पहले इस तरह की घोषणाएं सिर्फ मुसलमानों को लुभाने के लिए की जाती हैं। भाजपा का असली एजेंडा लोगों को धर्म के नाम पर बांटना है। यह उनका पुराना तरीका है, जिससे वे चुनावी लाभ लेना चाहते हैं।"
भाकपा (माले) के विधायक महबूब आलम ने भी पीएम मोदी की इस घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा, "अगर सरकार वाकई में मुसलमानों के विकास के लिए गंभीर होती, तो मॉब लिंचिंग और नफरत की राजनीति को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाती। इस तरह की योजनाएं दिखावे के सिवा कुछ नहीं हैं। मुसलमानों को आर्थिक मदद देने की बात कहकर सरकार असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही हैं।"
भाजपा ने किया बचाव, बताया सबका साथ-सबका विकास का उदाहरण
विपक्षी दलों की आलोचना का जवाब देते हुए भाजपा के विधायक लखिन्द्र पासवान ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी देश के सभी नागरिकों के लिए काम कर रहे हैं। सौगात-ए-मोदी योजना किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि उन गरीबों के लिए है जो सरकारी योजनाओं से अब तक वंचित रहे हैं। विपक्ष को यह बात हजम नहीं हो रही कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर काम कर रही हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने हमेशा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का काम किया है। "यह योजना किसी भी प्रकार की धार्मिक राजनीति नहीं, बल्कि गरीबों के कल्याण की दिशा में एक अहम कदम है," उन्होंने जोड़ा।
क्या है 'सौगात-ए-मोदी' योजना?
'सौगात-ए-मोदी' योजना के तहत केंद्र सरकार 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को वित्तीय सहायता देने के साथ-साथ 3,000 मस्जिदों में सुधार कार्यों के लिए भी सहयोग प्रदान करने की योजना बना रही है। सरकार का दावा है कि यह योजना मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में लाने और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने के लिए बनाई गई हैं।
2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में भाजपा द्वारा ईद के मौके पर इस योजना की घोषणा को महज संयोग नहीं माना जा सकता। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा इस योजना के जरिए मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। हालांकि, भाजपा का दावा है कि यह योजना अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब तबके के कल्याण के लिए बनाई गई है और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं हैं।