उत्तर प्रदेश: भाजपा ने एक बार फिर मुलायम के करीबी एसपी बघेल पर जताया भरोसा, कैसा रहा एसआई से केंद्रीय मंत्री का सफर

उत्तर प्रदेश: भाजपा ने एक बार फिर मुलायम के करीबी एसपी बघेल पर जताया भरोसा, कैसा रहा एसआई से केंद्रीय मंत्री का सफर
Last Updated: 30 नवंबर -0001

सब इंस्पेक्टर सत्यपाल सिंह बघेल पुलिस और राजनीति (सपा, बसपा और फिर भाजपा) में जुझारू और कर्मठ कार्यकर्ता साबित हुए है. जिंदगी के हर सफर में अलग रंग भरने में और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुमानों पर सही साबित हुए है. भारतीय जनता पार्टी ने बघेल को विधायक रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ाया था और केंद्रीय मंत्री थे उस दौरान विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के सामने उतारा।

Subkuz.com की जानकारी के अनुसार बेदाग छवि और संघ पदाधिकारियों के साथ अच्छे व्यवहार एवं संपर्क ने इस बार भी सत्यपाल सिंह बघेल टिकट का हक़दार बना दिया। आगरा की सुरक्षित सीट से उन्हें दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी बनाया गया है. बघेल को क्षेत्र और सदन में सक्रियता के कारण भी टिकट में फायदा मिला है. एक बार फिर से भाजपा के लिए चुनावी रण मैदान में नजर आएंगे।

BJP ने बनाया सब इंस्पेक्टर से नेता

जानकारी के अनुसार इटावा के उमरी गांव के रहने वाले एसपी सिंह बघेल पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर रहे। उसके बाद नौकरी से इस्तीफा देकर आगरा कॉलेज में सैन्य विज्ञान में प्रोफेसर बनकर बच्चों को शिक्षा दी। राजनीती में पहला कदम समाजवादी पार्टी (सपा) से 1998 से 2004 तक जलेसर से सांसद बनकर रखा। एसपी सिंह बघेल मुलायम सिंह यादव के बहुत नजदीकी हैं।

बताया कि सपा को अलविदा कहने के बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिल गए। बसपा से राज्यसभा सदस्य बने। उसके बाद बसपा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भरतीय जनता पार्टी का दामन थम लिया। बीजेपी ने 3 जुलाई 2015 को राजनेता एसपी सिंह बघेल को भाजपा ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया। विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी ने टूंडला क्षेत्र से टिकट दी और उन्होंने जीत दर्ज की. जीत के बाद BJP ने बघेल को पशुपालन, लघु सिंचाई एवं मत्स्य पालन मंत्री बना दिया।

2022 में अखिलेश यादव को दी टक्कर, दोबारा बने प्रत्याशी

जानकारी के मुताबिक भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 में सत्यपाल सिंह बघेल को सपा के शेर कहे जाने वाले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने चुनाव रण मैदान में उतारा गया। अखिलेश यादव को कड़ी टक्कर मिल रही थी जिसके चलते करहल में चुनाव प्रचार करने के लिए मजबूर कर दिया। बघेल को करहल से चुनाव हारने के बाद भी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री बना दिया गया। मंत्री बनने के बाद उन्होंने अंगदान के लिए देशभर में आंदोलन शुरू कर दिया था। पार्टी के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच में स्वीकृति मिलन के बाद उनका एक बार फिर भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया हैं।

 

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