प्रयागराज: बसपा की जम चुकी जमीर को पिघलाने का किया प्रयास, कैडर की बैठक में मायावती को लेकर दिया बड़ा संदेश

प्रयागराज: बसपा की जम चुकी जमीर को पिघलाने का किया प्रयास, कैडर की बैठक में मायावती को लेकर दिया बड़ा संदेश
Last Updated: 04 मार्च 2024

गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ चुनावी सरगर्मी ने भी रफ़्तार पकड़ ली है. लेकिन बहुजन समाज पार्टी की सरजमीं पर ठंडक बनी हुई है. प्रभावशाली चुनावी उम्मीदवार नहीं होने के कारण पार्टी को कैडर की बैठकों में मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए बहुत ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है. बसपा की गांव और शहरी कैडर की बैठकें कई महीनों से लगातार चल रही हैं।

Subkuz.com के पत्रकार को सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार बामसेफ, कैडर कार्यकर्ताओं, अनुसूचित जाति और युवा वर्ग में पैठ बनाने के लिए पार्टी के पदाधिकारी को एड़ी से लेकर चोटी तक का भरपूर जोर लगाना पड रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी उपजाऊ जमीन की तलाश कर रही हैं।

बसपा प्रचार के लिए कर रही कैडर की बैठक

 जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में पेठ जमाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गांव और शहर में कैडर की बैठकें कई महीनों से कर रही है. बताया कि सोहबतियाबाग स्थित संत रविदास जी मंदिर में बामसेफ शैडो (कैडर) की बैठक हुई उस दौरान प्रयागराज मीरजापुर मंडल के मुख्य प्रभारी अशोक कुमार गौतम ने कहां कि जब तक बहुजन समाज जागेगा नहीं, तब तक अपने समाज और देश का विकास नहीं हो पाएगा।

गौतम ने कहां कि वर्ष 2007 में जिस तरह से दमदार चुनाव लड़ा गया था, उसी तरह का नतीजा आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कैडर की बैठक के दौरान बहन मायावती को प्रधानमंत्री बनाने की बात चल रही है. नेताओं द्वारा की जा रही चापलूसी (जोर आजमाइश) वर्तमान समय में केवल अपना घर (जमीन) बनाने के लिए हैं। 

बसपा जिलाध्यक्ष आरबी त्यागी ने बताया कि वर्ष 2012 के बाद चुनावों में बसपा का प्रदर्शन बहुत जर्जर (लचर) होता गया. प्रदेश में बसपा ने अपने शासनकाल के दौरान लोकसभा चुनाव में केवल फूलपुर से कपिल मुनि कवरिया को ही जीत दिला पाई थी, उसके बाद से पार्टी में सन्नाटा ही छा गया. निराशा के अलावा  कुछ नहीं मिला हैं।

बताया कि बसपा पुराने सभी चुनावों के आंकड़े एकत्र कर रही है. बताया कि पार्टी की जमीन तो कही से बिगड़ी है और बिखरी है. इस बार मजबूत (दमदार) प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। इसके लिए अब तक कई स्तर पर मंथन चल रहा है और बड़े (शीर्ष) स्तर पर निर्णय लेने के बाद उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएंगे।

 

 

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