जनरल बिपिन रावत की पुण्य तिथि 8 दिसंबर मनाई जाती है। इस दिन एक दुखद हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। जनरल रावत, जो भारतीय सेना के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) थे, 63 वर्ष की आयु में इस हादसे में शहीद हुए। उनके साथ उनकी पत्नी और अन्य सैन्य अधिकारी भी इस दुर्घटना में शहीद हो गए थे।
यह घटना तमिलनाडु के कुन्नूर में हुई, और उनके निधन ने देशभर में शोक की लहर दौड़ा दी। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा
भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का योगदान और संघर्ष
भारत के पहले रक्षा प्रमुख (Chief of Defence Staff) जनरल बिपिन रावत का योगदान भारतीय सेना में अनमोल है। उनकी जिंदगी सिर्फ एक सैन्य अधिकारी की नहीं, बल्कि एक सच्चे योद्धा और देशभक्त की थी, जिन्होंने भारतीय सुरक्षा को एक नई दिशा देने का कार्य किया। उनका जीवन संघर्षों, कड़ी मेहनत और अप्रतिम नेतृत्व का उदाहरण है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के गढ़वाल जिले के पौड़ी में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा दे रहा था। उनके पिता, लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, भारतीय सेना में उच्च पद से सेवानिवृत्त हुए थे। जनरल रावत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के कैंबरीन हॉल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला से अपनी सैन्य शिक्षा प्राप्त की और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से सोर्ड ऑफ़ ऑनर प्राप्त किया।
सैन्य सेवा और प्रमुख पद
जनरल रावत ने भारतीय सेना में 1978 में ग्यारहवीं गोरखा राइफल्स से अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने मिजोरम, कांगो और जम्मू-कश्मीर जैसे कई संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दीं। भारतीय सेना में उनकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें 2016 में भारतीय थल सेना के प्रमुख (Army Chief) के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद 1 जनवरी 2020 को वे भारत के पहले रक्षा प्रमुख (CDS) बने।
सीडीएस के रूप में योगदान
जनरल बिपिन रावत ने सीडीएस के रूप में भारतीय सेना की तीनों शाखाओं के बीच तालमेल को बेहतर बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके नेतृत्व में, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्त ऑपरेशनों में सुधार हुआ, जिससे देश की सुरक्षा को और मजबूत किया गया। उनका प्रमुख उद्देश्य रक्षा बलों की कार्यप्रणाली को अधिक संगठित और प्रभावी बनाना था।
दुर्घटना और निधन
8 दिसंबर 2021 को, जनरल रावत और उनके परिवार के अन्य सदस्य एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में शिकार हो गए। यह हादसा तमिलनाडु के कुन्नूर में हुआ, जिसमें जनरल रावत की मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी, मधुलिका रावत, और अन्य 11 लोग भी इस दुर्घटना में जीवन खो बैठे। इस दुर्घटना ने पूरे देश को शोक में डाल दिया, और जनरल रावत की वीरता और सेवाओं को याद किया गया।
सैन्य सम्मान और श्रद्धांजलि
जनरल रावत का अंतिम संस्कार 10 दिसंबर 2021 को सैन्य सम्मान के साथ किया गया। उनके दो बेटियों ने उनकी अंतिम विदाई दी। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और वे भारतीय सेना और पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
उपलब्धियां और सम्मान
जनरल बिपिन रावत को उनके असाधारण सैन्य कार्यों और नेतृत्व के लिए कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें उत्तम युद्ध सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं। उन्होंने भारतीय सेना को एक नई दिशा दी और अपने कार्यकाल में भारतीय रक्षा व्यवस्था को मजबूत किया।
जनरल बिपिन रावत का जीवन एक प्रेरणा है। उनके समर्पण, साहस और नेतृत्व के बिना भारतीय रक्षा बलों की आज की स्थिति की कल्पना नहीं की जा सकती। उनकी भूमिका सिर्फ एक सैन्य प्रमुख की नहीं, बल्कि एक रणनीतिक नेता की थी, जिन्होंने भारत की सुरक्षा को नए आयाम दिए। उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता और उनका नाम हमेशा भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।