Delhi Politics: दिल्ली में बदले सत्ता समीकरण; एलजी के खिलाफ आप सरकार के केस होंगे वापस?

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दिल्ली में सरकार बदलने के साथ ही प्रशासनिक फैसलों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, नई बीजेपी सरकार ने उपराज्यपाल (LG) के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है और कई केस वापस लेने की तैयारी की जा रही हैं। 

नई दिल्ली: दिल्ली में सरकार बदलने के साथ ही प्रशासनिक फैसलों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, नई बीजेपी सरकार ने उपराज्यपाल (LG) के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है और कई केस वापस लेने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, इस पर आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना जताई जा रही हैं। 

आप सरकार और LG के बीच क्यों हुआ था टकराव?

दिल्ली की पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और उपराज्यपाल के बीच संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने कई बार LG के अधिकारों पर सवाल उठाए थे। खासतौर पर फाइलों की मंजूरी, अधिकारियों की नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए थे।

AAP सरकार ने कई बार कोर्ट का रुख किया था और LG के खिलाफ कानूनी हस्तक्षेप की मांग की थी। अब सत्ता परिवर्तन के बाद इन मामलों को वापस लेने पर चर्चा हो रही हैं। 

क्या कहेगा विपक्ष?

बीजेपी सरकार का मानना है कि इन मामलों में राजनीतिक द्वेष की भावना अधिक थी, प्रशासनिक जरूरत कम। सरकार चाहती है कि गैरजरूरी कानूनी लड़ाइयों में समय और संसाधन बर्बाद न हों। इसलिए, अब इन मामलों की समीक्षा कर यह तय किया जा रहा है कि किन मामलों को वापस लिया जाए। अगर बीजेपी सरकार LG के खिलाफ दर्ज केस वापस लेती है, तो विपक्ष खासकर AAP इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकती है। आम आदमी पार्टी पहले से ही LG पर बीजेपी सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाती रही है। ऐसे में इस फैसले को "बीजेपी-एलजी गठबंधन" के रूप में प्रचारित किया जा सकता हैं। 

क्या सभी केस होंगे वापस?

फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार सभी केस वापस लेगी या सिर्फ चुनिंदा मामलों की समीक्षा करेगी। विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, जहां विपक्ष इसे जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर सकता है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी सरकार इस फैसले पर क्या सफाई देती है और विपक्ष इसे किस हद तक भुनाने की कोशिश करता हैं। 

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