किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर मार्च की तैयारी में हैं और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने, कर्ज माफी, पेंशन और बिजली दरों में वृद्धि न करने की मांगों के साथ किसानों का विरोध तेज हो गया है। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले इस आंदोलन ने एक बार फिर सरकार को चुनौती दी है। किसानों का कहना है कि सरकार ने उनके वादों को पूरा नहीं किया है, जिससे उनका गुस्सा बढ़ गया है और वे सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी, पुलिस अलर्ट पर
किसानों के दिल्ली मार्च को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की तैनाती कम है, लेकिन स्थिति के अनुसार शंभू बॉर्डर पर बलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। अधिकारी ने यह भी कहा कि दिल्ली के मध्य हिस्से में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जिससे यातायात प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही नोएडा सीमा पर भी पुलिस का कड़ा ध्यान रखा जा रहा है, जहां उत्तर प्रदेश के किसानों का एक और समूह धरना दे रहा है।
किसानों की मांगें और आंदोलन की वजह
किसान अब अपनी आवाज को और भी मजबूत तरीके से उठाने के लिए तैयार हैं। वे एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, साथ ही कर्ज माफी, पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की भी मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, किसानों का कहना है कि सरकार ने उनके संघर्ष के दौरान किए गए वादों को नहीं निभाया है। 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर से लागू करने और 2020-21 में आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की जा रही है।
किसान नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनके साथ कोई संवाद नहीं किया और बल प्रयोग कर उनका विरोध दबाने की कोशिश की। इस बात से किसान नाराज हैं और उनका कहना है कि वे किसी भी हाल में अपने हक को छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
पुलिस पूरी तरह तैयार, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि वे किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। पुलिस ने अपनी योजना में कई आपातकालीन व्यवस्थाएं भी रखी हैं, ताकि आंदोलनकारियों की संख्या और गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके। इस आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार के हिंसक घटनाओं से बचने के लिए पुलिस ने पूरी तैयारी की है।
किसानों के आक्रोश के साथ राजनीतिक गर्मी
किसान आंदोलन अब केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जो आगामी चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकता है। हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसान इस आंदोलन में शामिल हैं और उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इन किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के वादे अब तक अधूरे हैं और वे सड़कों पर उतरकर सरकार को जगाना चाहते हैं।
नतीजा: एक निर्णायक मोड़
किसानों के इस मार्च से पहले सुरक्षा को लेकर दिल्ली में हड़कंप मच गया है। दिल्ली पुलिस ने अपनी पूरी ताकत के साथ सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि इस आंदोलन का अंत क्या होगा। किसानों की मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं, और उनका आक्रोश केवल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और किसान इस मामले में किस तरह का समाधान निकालते हैं।