हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने देवबंद में एक विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि देवबंद में दारुल उलूम और मस्जिद की खुदाई कराई जाती है, तो यहां भी मंदिर निकलेगा। उनके अनुसार, देश में जहां भी खुदाई हो रही है, वहां मंदिरों के अवशेष मिल रहे हैं। इस बयान के बाद राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
देवबंद में खुदाई पर साध्वी प्राची का बयान
साध्वी प्राची शनिवार को देवबंद में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंची थीं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “देवबंद के दारुल उलूम और मस्जिद की खुदाई की जाए तो यहां भी मंदिर निकलेंगे। यह केवल एक संभावना नहीं, बल्कि सच है। उनके इस बयान ने एक बार फिर से धार्मिक माहौल में हलचल पैदा कर दी है।
पूजा स्थल कानून पर चर्चा
साध्वी प्राची ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब हिंदुस्तान में टूटे हुए मंदिरों की जगह बनी मस्जिदों को वापस लिया जाए। उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अयोध्या का मसला सुलझ चुका है और अब काशी और मथुरा की बारी है। साध्वी प्राची का यह बयान पूजा स्थल कानून को लेकर भी सवाल खड़े करता है, जिसके तहत 1947 के बाद धार्मिक स्थल के रूप में जो स्थिति थी, उसे बदलने पर रोक लगाई गई थी।
विवादास्पद बयान और उसके बाद की स्थिति
यह पहली बार नहीं है जब साध्वी प्राची ने दारुल उलूम पर निशाना साधा है। इससे पहले भी उन्होंने देवबंद के मदरसे पर विवादित बयान दिए थे, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ा था। उनका यह बयान सामाजिक ताने-बाने पर असर डालने का जोखिम रखता है, क्योंकि इससे धार्मिक विवादों को और हवा मिल सकती है।
पूजा स्थल कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इस बीच, पूजा स्थल संरक्षण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 12 दिसंबर को सुनवाई होने वाली है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए याचिका दायर की है। इसके तहत, पूजा स्थलों की सुरक्षा और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों की स्थिति को बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा। संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस सुनवाई को आशाजनक बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि न्याय की जीत होगी।
देश में सांप्रदायिक माहौल पर चिंता
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 1991 में बने वर्शिप एक्ट के बावजूद कुछ सांप्रदायिक तत्व झूठ फैलाकर देश में नफरत और असहमति पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका मानना है कि देश की शांति, सौहार्द और भाईचारे को बनाए रखने के लिए यह कानून बेहद महत्वपूर्ण है।
इस पर भी उनका कहना था कि न्यायपालिका का दखल इस मामले में आवश्यक है ताकि पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
साध्वी प्राची के बयान और पूजा स्थल कानून पर सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि इस पर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और किस तरह से न्यायपालिका इस संवेदनशील मुद्दे पर फैसला करती है।