Columbus

Jaipur Bomb Blast: कोर्ट का बड़ा फैसला, चार आतंकियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

🎧 Listen in Audio
0:00

जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े एक अहम मामले में विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। वर्ष 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार धमाकों के एक प्रकरण में विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी की अदालत ने चार आतंकियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में 17 साल पहले हुए दिल दहला देने वाले सीरियल बम धमाकों से जुड़े 'जिंदा बम केस' में विशेष अदालत ने चार आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाकर एक अहम फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने अपने 600 पेज के विस्तृत फैसले में चार आरोपियों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला उन धमाकों से जुड़ा है जिसमें 13 मई 2008 को जयपुर शहर को सिलसिलेवार धमाकों से दहला दिया गया था।

कौन-कौन हैं दोषी?

1. सरवर आजमी
2. सैफुर्रहमान
3. मोहम्मद सैफ
4. शाहबाज अहमद

इन सभी को कोर्ट ने आईपीसी की धारा 120बी (षड्यंत्र), 121-ए (देश के खिलाफ युद्ध), 124-ए (राजद्रोह), 153-ए (धर्म के आधार पर वैमनस्य), 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी माना है। इसके अलावा, UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) की धारा 18, और विस्फोटक अधिनियम की धारा 4 और 5 के तहत भी अपराध साबित हुए।

क्या है ‘जिंदा बम’ का मामला?

जयपुर बम धमाकों के दौरान चांदपोल हनुमान मंदिर के पास एक जिंदा बम बरामद हुआ था, जिसे समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया। यही बम एक बड़े हमले की योजना का हिस्सा था, जिसे अंतिम समय पर फेल कर दिया गया। इसी से जुड़ी इस सुनवाई में अब चारों को दोषी माना गया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि सजा सुनाए जाने के बाद चारों दोषी बिलकुल भी विचलित नहीं दिखे। कोर्ट से बाहर निकलते समय उनके चेहरों पर मुस्कान थी, जिससे कोर्ट में मौजूद लोग भी हैरान रह गए।

पहले मिली थी फांसी, फिर हुए थे बरी

इससे पहले, सीरियल बम ब्लास्ट केस में तीन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, जबकि शाहबाज को बरी कर दिया गया था। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने साक्ष्यों की कमी के आधार पर तीनों को बरी कर दिया, जिससे सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वह अपील अभी भी लंबित है। यह फैसला न सिर्फ जयपुर बम धमाकों के पीड़ितों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए न्याय व्यवस्था की दृढ़ता का प्रतीक बनकर सामने आया है। 17 साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद, दोषियों को सजा मिलना पीड़ितों के लिए राहत की बात है, हालांकि मुख्य ब्लास्ट केस में अंतिम निर्णय अभी आना बाकी है।

Leave a comment