जयशंकर ने बयान दिया कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो चुका है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हर कार्रवाई का परिणाम होता है, और यही उनके कर्म का फल है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान सकारात्मक या नकारात्मक कदम उठाता है, तो हम उसे उसी की भाषा में जवाब देंगे।
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ निरंतर बातचीत का युग 'समाप्त' हो चुका है। जयशंकर ने यह भी कहा कि हर कार्रवाई का एक परिणाम होता है और यह इसी के परिणामस्वरूप है। विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश के साथ हमारे संबंध बने रहेंगे, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
पाक के साथ बातचीत का समय समाप्त - जयशंकर
एक किताब के विमोचन समारोह में विदेश मंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो चुका है। जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में, मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो चुका है। इसलिए, आज का मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस प्रकार के रिश्ते की कल्पना कर सकते हैं?" जयशंकर ने आगे कहा कि अब लोग चर्चा कर रहे हैं कि भारत पाक के साथ बातचीत नहीं करना चाहता। यह बात कुछ हद तक सही भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान चाहे सकारात्मक कदम उठाए या नकारात्मक, हम उसका जवाब उसी की भाषा में देंगे।
अफगानिस्तान के साथ बने रहेंगे मजबूत संबंध - विदेश मंत्री
जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ भले ही रिश्ते कैसे भी हों, लेकिन हमारे अफगानिस्तान के साथ मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान के संदर्भ में हमारे बीच लोगों के बीच गहरे संबंध हैं। वास्तव में, सामाजिक स्तर पर भारत के प्रति एक अच्छी भावना मौजूद है। लेकिन जब हम अफगानिस्तान की बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि शासन की कला के बुनियादी पहलुओं को नहीं भूलना चाहिए।" जयशंकर ने यह भी कहा कि हमें समझना चाहिए कि अमेरिका की उपस्थिति वाला अफगानिस्तान, अमेरिका की बिना उपस्थिति वाले अफगानिस्तान से काफी भिन्न हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन हो सकता है हानिकारक - एस. जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि भारत को बांग्लादेश के साथ अपने आपसी हितों का आधार खोजने की आवश्यकता है और भारत 'वर्तमान सरकार' के साथ संवाद करेगा। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से हमारे संबंधों में उतार-चढ़ाव रहे हैं और यह स्वाभाविक है कि हम मौजूदा सरकार के साथ व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएंगे। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि राजनीतिक परिवर्तन हो रहे हैं, जो संभावित रूप से विध्वंसकारी हो सकते हैं। इसलिए, हमें अपने साझा हितों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक हैं।