Jammu & Kashmir: कश्मीर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, तीन साल से आतंक मचा रहा पाक आतंकी अबु उस्मान को किया ढेर

Jammu & Kashmir: कश्मीर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, तीन साल से आतंक मचा रहा पाक आतंकी अबु उस्मान को किया ढेर
Last Updated: 2 दिन पहले

कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। श्रीनगर में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु उस्मान उर्फ छोटा वलीद और दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी मारे गए हैं। अबु उस्मान पिछले तीन सालों से कश्मीर में सक्रिय था और कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा था।

श्रीनगर: कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लगातार सक्रिय सुरक्षाबलों ने शनिवार को दो अहम सफलताएं हासिल कीं। श्रीनगर में एक बड़े आत्मघाती हमले की साजिश को विफल करते हुए सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु उस्मान उर्फ छोटा वलीद को मार गिराया। अबु उस्मान पहले अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिलकर नाटो सेनाओं के खिलाफ भी लड़ चुका था और कश्मीर में लंबे समय से आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न था।

दूसरी ओर डोडा में 16 जुलाई को शहीद सैन्याधिकारी के शव के साथ क्रूरता करने वाले आतंकवादी अरबाज मीर को भी सुरक्षाबलों ने अनंतनाग के हलकान गली इलाके में ढेर कर दिया। अरबाज मीर इस वर्ष पाकिस्तान से आतंकी प्रशिक्षण लेकर कश्मीर लौट आया था और दक्षिण कश्मीर में सक्रिय था।

भारतीय सेना ने अबु उस्मान और अरबाज को किया ढेर

अबु उस्मान, जो पिछले तीन वर्षों से कश्मीर में सक्रिय था, सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ था। वह उत्तरी और सेंट्रल कश्मीर के आतंकियों के बीच कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभा रहा था और कश्मीर में अल्पसंख्यकों, अप्रवासी नागरिकों, और पुलिसकर्मियों की टारगेट किलिंग का मुख्य सूत्रधार था। उसकी गतिविधियों ने क्षेत्र में तनाव और असुरक्षा बढ़ा दी थी।

शनिवार को कश्मीर में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों को सफलता मिली। पहली मुठभेड़ श्रीनगर के खनयार इलाके में हुई, जहां लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु उस्मान उर्फ छोटा वलीद को मार गिराया गया। दूसरी मुठभेड़ दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के हलकान गली लारनू इलाके में हुई, जहां अरबाज मीर और स्थानीय आतंकी जाहिद अहमद रेशी मारे गए। अबु उस्मान पर 15 लाख रुपये का इनाम था, जबकि अरबाज मीर पर 5 लाख रुपये का इनाम था।

कौन हैं अबु उस्मान?

सूत्रों के अनुसार, अबु उस्मान उर्फ उस्मान भाई उर्फ छोटा वलीद, जो पाकिस्तान का निवासी था, कश्मीर में तीसरी बार सितंबर 2021 में एलओसी पार कर उत्तरी कश्मीर में दाखिल हुआ था। इससे पहले, वह दो बार कश्मीर में घुसपैठ कर आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा था. पहली बार लगभग एक वर्ष तक और दूसरी बार ढाई वर्षों तक। अबु उस्मान कश्मीर में लगातार ठिकाने बदलता रहा और बांडीपोरा, सोपोर, श्रीनगर और बड़गाम में सक्रिय था।

अक्टूबर 2021 के बाद से सेंट्रल और उत्तरी कश्मीर में जितने भी आतंकी हमले और टारगेट किलिंग की घटनाएं हुईं, उनमें उसकी भूमिका रही है। उसकी रणनीति यह थी कि वह अक्सर वारदातस्थल के पास मौजूद रहता और अपने शिकार पर नजर बनाए रखता था, जिससे हमलों को अंजाम देना आसान हो जाता था। उसके ठिकाने बदलने की रणनीति ने सुरक्षाबलों के लिए उसे पकड़ना मुश्किल बना दिया था।

अबु उस्मान, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हैंडलर सैफुल्ला उर्फ सज्जाद जट्ट उर्फ साजिद जट्ट का करीबी था, कश्मीर में आतंकियों की भर्ती और नेटवर्क को पुनः स्थापित करने में जुटा हुआ था। जब वह पहली बार कश्मीर में आया था, तब वह सज्जाद जट्ट के साथ ही आया था। कश्मीर में सक्रिय रहने के दौरान उसने स्थानीय युवाओं को आतंकवाद की ओर आकर्षित करने और विभिन्न आतंकी गतिविधियों को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई।

सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार, अबु उस्मान की मौत न केवल कश्मीर में सक्रिय आतंकियों बल्कि उनके सीमा पार बैठे हैंडलरों के लिए भी एक बड़ा आघात है। वह श्रीनगर में एक बड़े आत्मघाती हमले की तैयारी में जुटा था और आतंकियों को इस मिशन के लिए लांच करने की योजना बना रहा था। उसके मारे जाने से यह साजिश नाकाम हो गई है, जिससे कश्मीर घाटी में शांति बहाल रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई हैं।

अबु उस्मान दो दिन पहले आया था श्रीनगर

सुरक्षा एजेंसियों को कश्मीर में एक बड़ी सफलता मिली है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबु उस्मान और जैश-ए-मोहम्मद के हिट स्क्वॉड पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट के दो आतंकी जाहिद अहमद रेशी और अरबाज मीर को ढेर कर दिया गया है। अबु उस्मान हाल ही में बांडीपोरा से श्रीनगर पहुंचा था और वह एक बड़े आत्मघाती हमले की साजिश रच रहा था। वह उसी इलाके में मारा गया, जहां 2002 में बदामी बाग में आत्मघाती हमला करने वाला अफाक अहमद का घर हैं।

दूसरी ओर अनंतनाग के हलकान गली क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जाहिद और अरबाज मारे गए। यह दोनों आतंकवादी आठ अक्टूबर को सैन्यकर्मी हिलाल अहमद की हत्या में शामिल थे और अप्रवासी श्रमिकों पर हुए हमलों में भी इनका हाथ था। अरबाज 2018 में नेपाल के रास्ते पाकिस्तान गया था और आतंकी प्रशिक्षण लेकर कश्मीर में लौट आया था। उसने 2020 में भी दो अन्य युवकों को अपने साथ पाकिस्तान ले जाकर उन्हें आतंकवादी प्रशिक्षण दिलवाया था। इस साल अप्रैल में वह जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ कर डोडा पहुंचा, जहां 15 जुलाई को देस्सा में कैप्टन बृजेश थापा समेत चार सैन्यकर्मियों पर हमला किया गया था। इस हमले में कैप्टन थापा के साथ क्रूरता करने में भी अरबाज का हाथ था।

 

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