जम्मू-कश्मीर में PDP की चुनौती: साख बनाए रखने के लिए युवाओं को मंच देने की योजना

जम्मू-कश्मीर में PDP की चुनौती: साख बनाए रखने के लिए युवाओं को मंच देने की योजना
Last Updated: 30 अक्टूबर 2024

जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में पीडीपी को जोरदार हार का सामना करना पड़ा। पीडीपी का गढ़ माने जाने वाले बिजबेहड़ा सीट पर भी उसे हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली इस हार के बाद पीडीपी में पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें बदलाव और संगठनात्मक ढांचे की तैयारी की जाएगी। इस प्रक्रिया में इल्तिजा मुफ्ती और वहीद उर रहमान परा सहित अन्य युवा नेताओं की भूमिका को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

Shrinagar: लोकसभा और विधानसभा चुनावों में निराशा के बाद, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अब युवा नेताओं के सहारे आगे बढ़ने की योजना बना रही है। प्रदेश के बदलते राजनीतिक माहौल को ध्यान में रखते हुए, पार्टी एक नया संगठनात्मक ढांचा तैयार करेगी। इसमें इल्तिजा मुफ्ती और वहीद उर रहमान परा जैसे युवा नेताओं की भूमिका को बढ़ावा दिया जाएगा। पंचायत और नगर निकाय चुनावों के लिए संभावित उम्मीदवारों के चयन के साथ-साथ जनपहुंच और सदस्यता अभियान भी शुरू किया जाएगा।

महबूबा मुफ्ती की बेटी चुनाव में हार गईं

लोकसभा चुनाव में पीडीपी ने एक भी सीट नहीं जीती, जबकि विधानसभा चुनाव में पार्टी केवल तीन सीटों पर सिमट कर रह गई है। हालांकि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने चुनाव में भाग नहीं लिया, लेकिन उनकी बेटी इल्तिजा ने पहली बार चुनावी मैदान में कदम रखा और हार का सामना करना पड़ा। इल्तिजा को पीडीपी के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले बिजबिहाड़ा में हार का सामना करना पड़ा है।

पहली बार इतनी बुरी तरह हारी है पीडीपी

वर्ष 1999 में अपनी स्थापना के बाद से, पीडीपी पहली बार चुनावों में इस तरह से बुरी तरह हारी है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद, पिछले शुक्रवार को महबूबा मुफ्ती ने पार्टी की सभी इकाइयों को भंग कर

दिया और प्रवक्ता पैनल को भी समाप्त कर दिया। पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, महबूबा की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें पार्टी की हार के कारणों पर गहराई से चर्चा की गई।

संगठन की सभी इकाइयों को किया समाप्त

बैठक में एक महत्वपूर्ण बात सामने आई कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार का प्रमुख कारण वर्ष 2014 में भाजपा के साथ किया गया गठबंधन रहा है। स्थानीय मतदाता इस स्थिति के लिए पीडीपी से नाराज हैं। इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के पीडीपी से अलग होने के कारण भी उसका वोट बैंक बंट गया है।

हालांकि, कश्मीर में युवाओं का एक बड़ा वर्ग पीडीपी के प्रति समर्थन दिखाता है। इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पुराने वफादारों के अनुभव और नई ऊर्जा का संगम करते हुए संगठन को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए। बैठक में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप ही संगठन की सभी इकाइयों को भंग किया गया है।

पार्टी का पुनर्गठन करना चाहती हैं महबूबा

पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ पार्टी का पुनर्गठन करने की योजना बना रही हैं, जो आम जनता के बीच जाकर काम कर सकें। उनका उद्देश्य पीडीपी को एक ऐसा राजनीतिक संगठन बनाना है, जो युवाओं के लिए, युवाओं द्वारा और युवाओं की आवाज बने। इस प्रयास से वह जम्मू-कश्मीर, विशेषकर घाटी में, अपने पुराने जनाधार को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही हैं।

पंचायत स्तर पर कार्यकर्ताओं का फीडबैक लेगा पैनल

वरिष्ठ नेता ने जानकारी दी कि पीडीपी में सभी जिला और क्षेत्रीय इकाइयों के पुनर्गठन के लिए अब्दुल रहमान वीरी, सरताज मदनी, हमीद चौधरी और गुलाम नबी लोन हंजूरा को शामिल करते हुए एक पैनल गठित किया गया है। यह पैनल पंचायत स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक प्राप्त करेगा। इसके अतिरिक्त, चुनाव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में पार्टी को मिले मतों के आधार पर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की आम जनता में स्थिति का आकलन भी किया जाएगा।

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